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Bihar News: 6 महीने पहले जिस कैदी की हो चुकी है मौत उसकी रिहाई के सरकारी आदेश से हड़कंप, जानें पूरा मामला - anand mohan

पूर्व सांसद आनंद मोहन के साथ ही कुल 27 कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. बक्सर जेल में बंद 5 कैदियों को भी इसका लाभ मिला है, लेकिन सरकार के आदेश से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है. दरअसल पांच में से एक कैदी की 6 महीने पहले ही मौत हो चुकी है. मौत के बाद जेल से रिहाई का आदेश देख जेल अधीक्षक से लेकर अन्य अधिकारी भी हैरान हैं.

order for release of dead prisoner in buxar
order for release of dead prisoner in buxar

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Published : Apr 26, 2023, 2:41 PM IST

मृत कैदी की रिहाई का सरकारी आदेश

बक्सर:बिहार सरकार के नए कारनामे से हर कोई हैरान है. आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 93 वर्षीय जिस कैदी की नवम्बर 2022 में ही मौत हो चुकी है, उसे रिहा करने का आदेश जेल प्रशासन को दिया गया है. इस आदेश के बाद जेल के अधिकारियो में हड़कंप मच गया है. 6 महीने पहले ही हत्या के आरोपी 93 वर्षीय पतिराम राय की मौत हो चुकी है.

पढ़ें- Anand Mohan: 'अब जेल से बाहर आकर ही जवाब दूंगा', रिहाई को लेकर उठ रहे सवालों पर बोले आनंद मोहन

6 महीने पहले जिस कैदी की हुई मौत.. उसकी रिहाई का आदेश:बता दें कि पूर्व सांसद व बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार सरकार के द्वारा जो कानून में बदलाव किया गया है, उसका बक्सर सेंट्रल जेल में बंद 5 कैदियो को लाभ देते हुए जेल से रिहा करने का आदेश आया है. मंगलवार को ही पांच कैदियों में से तीन कैदियों को रिहा कर दिया गया. जबकि रामाधार राम नामक एक कैदी ने अर्थदण्ड जमा नहीं किया था, इसलिए उसे जेल से रिहा नहीं किया गया. जबकि 5वें कैदी की 6 महीने पहले ही मौत हो चुकी है.

परिजनों से संपर्क के बाद मौत की हुई जानकारी:राज्य सरकार के द्वारा 93 वर्षीय पतिराम राय नामक कैदी को मंगलवार को रिहा करने का आदेश दिया गया था. लेकिन कैदी की मौत नवम्बर 2022 में ही हो चुकी है. इस बात की जानकारी सरकारी महकमे में बैठे लोगों को नहीं थी. पूरी रात अधिकारी उस कैदी की फाइलों में ढूंढते रहे. जेल के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पूरी रात छानबीन के बाद जब अधिकारी ने मृत कैदी के परिजनों से सम्पर्क साधा, तब इस बात की जानकारी हुई कि उस कैदी की नवम्बर महीने में ही मौत हो चुकी है. जिसके बाद मरने वाले कैदियो की लिस्ट में उनका नाम देख राहत की सांस ली गई.

कारा अधीक्षक ने दी सफाई:कारा अधीक्षक कुमारी शालिनी ने बताया कि 90 साल से अधिक उम्र के आजीवन कारावास के सजावार बंदियों की संख्या 4 से 5 के बीच में है. यह सभी बंदी अपनी आखरी सांस तक जेल में सजा भुगतेंगे. इनकी शारीरिक अवस्था ऐसी हो गई है कि दैनिक क्रिया कर्म में भी इन्हें परेशानी होती है. ना तो इन्हें आंखों से स्पष्ट दिखाई देता है और ना ही इनके हाथ-पांव ठीक से काम कर रहे हैं. कारा एवं सुधार विभाग से ऐसे बंदियों की रिहाई के लिए समय-समय पर अनुरोध किया जाता रहता है और वहां से आदेश मिलने के बाद राष्ट्रीय पर्व तथा अन्य अवसरों पर उनकी रिहाई भी होती है.

"जिले के सिमरी निवासी पतिराम राय हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे. उनकी उम्र तकरीबन 93 वर्ष हो गई थी, जिसके कारण पूर्व में ही कारा एवं सुधार विभाग को उनकी रिहाई के लिए पत्र लिखा गया था. ऐसे में जब राज्य सरकार के द्वारा 14 वर्ष से अधिक सजा भुगत चुके कैदियों की रिहाई की घोषणा की गई, उसमें पतिराम राय का भी नाम लिस्ट में शामिल है, जबकि पिछले वर्ष के नवंबर महीने में ही उनका निधन हो चुका है."- कुमारी शालिनी, अधीक्षक, मुक्त कारागार बक्सर

सरकारी सिस्टम पर सवाल: इस घटना ने सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं. जिस पतिराम राय नामक कैदी की 6 महीने पहले ही मौत हो चुकी है, उसे रिहा करने का सरकारी आदेश की चर्चा आज सभी की जुबान पर है. इस मामले ने अधिकारियों की लचर व्यवस्था की पोल खोल दी है. सरकार ने जो दरियादिली बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन पर दिखाई अगर समय रहते वही दरियादिली अपने अंतिम सांस गिन रहे 90 और 98 वर्षीय कैदियों पर दिखाती तो शायद अंतिम समय में भी वह अपने परिजनों को देख पाते.

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