नई दिल्ली : नेशनल क्वांटम मिशन के लिए केंद्र सरकार ने 6003.65 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. ये पैसे 2023-24 से लेकर 2030-31 तक के लिए हैं. इस तकनीक का मतलब है कि डेटा कई गुणा तेजी से प्रोसेस होता है. मिशन में मिली कामयाबी के आधार पर हम संचार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति को पा सकते हैं. रक्षा और ऊर्जा के क्षेत्रों क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे.
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस मिशन की सफलता के लिए चार हब बनाए जाएंगे. इसकी निगरानी साइंस एंड टेक डिपार्टमेंट करेगा. विभाग के निदेशक इसकी खुद मॉनिटरिंग करेंगे. उन्होंने कहा कि मिशन ठीक से आगे बढ़े, इसके लिए एक गवर्निंग बॉडी भी बनाई जाएगी.
आपको बता दें कि क्वांटम तकनीक मूलरूप से भौतिकी की ही एक शाखा है. हमलोग जिस कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं, क्वांटम तकनीक उसमें क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. यह न सिर्फ वह द्रुत गति से समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि डेटा प्रोसेसिंग भी काफी तेजी से होगा. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसके सामने हमारा पारंपरिक सुपर कंप्यूटर भी बौना साबित हो जाएगा. क्वांटम तकनीक में क्वांटम बिट्स का उपयोग किया जाता है. जबकि सामान्य कंप्यूटर में सबकुछ बाइनरी सिस्टम यानी जीरो और वन पर आधारित होता है. इसलिए क्वांटम तकनीक से हम बड़ी से बड़ी गणना का हल चुटकियों में पा सकते हैं. कैमेस्ट्री, सिमुलेशन, क्रिप्टोग्राफी के साथ-साथ बेहतर भविष्यवाणी भी इस आधार पर की जा सकती है.
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