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कोरोना से जीतकर जिंदगी से जंग हार गये मिल्खा सिंह, ऐसे बीता आखिरी एक महीना

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Published : Jun 20, 2021, 12:42 AM IST

कभी हार ना मानने की जिद पाले और हर मुश्किल से लड़ने की ताकत रखने वाले फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह (milkha singh) कोरोना से जीतकर जिंदगी से कैसे हार गए, आखिर उनकी जिंदगी का आखिरी महीना कैसा था.

मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह

चंडीगढ़ : 'फ्लाइंग सिख' (flying sikh) के नाम से दुनिया में मशहूर मिल्खा सिंह (milkha singh) अब हमारे बीच नहीं रहे. 18-19 जून की दरम्यानी रात में खबर आई कि हमने मिल्खा सिंह को खो दिया है. लाखों लोगों के लिए प्रेरणा रहे मिल्खा सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन कभी उन्होंने ये बात महसूस नहीं होने दी. हमेशा अपने स्वभाव से सामने वाले का दिल जीतने वाले मिल्खा सिंह को कोरोना हुआ था. लेकिन जिंदगी में ऐसी कई 'जंग' जीत चुके सिंह ने उसे भी मात दे दी. फिर भी कहते हैं ना कि एक दिन सबको जाना है तो मिल्खा सिंह भी चले गए.

े मिल्खा सिंह (फाइल फोटो)

19 मई को खबर आई कि मिल्खा सिंह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. लेकिन उस वक्त मिल्खा सिंह को ज्यादा दिक्कत नहीं थी तो वो घर पर ही आइसोलेट हो गए. लेकिन 5 दिन बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और 24 मई को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उन्हें भर्ती करा दिया गया. इसके बाद 26 मई को पता लगा कि उनकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव हैं. जिसके बाद उन्हें भी उसी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया, जिसमें मिल्खा सिंह पहले से थे.

मिल्खा सिंह (फाइल फोटो)

डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बाद भी मिल्खा सिंह की हालत में कोई खास सुधार नहीं हो रहा था, और अब उनका ऑक्सीजन लेवल भी गिरने लगा था. लिहाजा फोर्टिस अस्पताल से 3 जून की रात में मिल्खा सिंह को चंडीगढ़ पीजीआई लाया गया. लेकिन उनकी पत्नी फोर्टिस में ही रहीं.

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चंडीगढ़ पीजीआी आने के बाद धीरे-धीरे उनकी हालत में सुधार होने लगा. 5 जून के हेल्थ बुलिटिन में पीजीआई के डॉक्टर्स ने बताया कि अब फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की तबीयत में काफी सुधार है और ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ रहा है. इसके बाद मिल्खा सिंह का कोरोना टेस्ट कराया गया लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव आई, फिर भी अच्छी बात ये थी कि उनकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा था.

मिल्खा सिंह (फाइल फोटो)

...और पत्नी की मौत हो गई
कोरोना से लड़ रहे मिल्खा सिंह के लिए 13 जून को एक बुरी खबर आई. इसी महामारी से जूझ रहीं उनकी पत्नी निर्मल कौर (nirmal kaur) ने दम तोड़ दिया और पंचतत्व में विलीन हो गईं. बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में अपना परिवार खोने वाले मिल्खा सिंह के लिए ये बड़ा झटका था. फिर भी एक योद्धा की तरह मिल्खा सिंह कोरोना से लड़ते रहे, और उनकी हालत स्थिर बनी रही.

15 जून की सुबह ने एक अच्छी खबर के साथ दस्तक दी. चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर्स ने बयान जारी कर कहा कि फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने कोरोना को मात दे दी है, और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है. इसके बाद वो तेजी से रिकवर करने लगे. उन्हें आईसीयू से सामान्य वार्ड में भी शिफ्ट कर दिया गया.

मिल्खा सिंह के रिकॉर्ड

3 दिन तक सब ठीक चल रहा था लेकिन 18 जून को अचानक मिल्खा सिंह को तेज बुखार हो गया, इस बार के हेल्थ बुलिटिन में चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर्स ने कहा कि, ' मिल्खा सिंह की हालत में तेजी से सुधार हो रहा था लेकिन आज उन्हें बुखार हुआ है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, उनकी हालत धीरे-धीरे ठीक हो रही है'

लेकिन ये हेल्थ बुलिटिन मिल्खा सिंह का आखिरी हेल्थ बुलिटिन साबित हुआ, और सारा 'जग' जीतने वाला, कभी हार ना मानने वाला और हर मुश्किल का डटकर सामना करने वाला शानदार धावक फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह हमें छोड़कर चला गया. पीछे रह गईं उनकी यादें और एक बड़ी एथलेटिक विरासत जो हमेशा देश के पास रहेगी.

पंडित नेहरू के साथ मिल्खा सिंह (फाइल फोटो)

संघर्षों भरा रहा मिल्खा सिंह का जीवन
20 नवंबर 1929 को अभिवाजित भारत के मुजफ्फरगढ़ जिल में जन्मे मिल्खा सिंह विभाजन के वक्त पाकिस्तान से भागकर आये थे. उनके माता-पिता और भाई-बहन को वहीं पर मार दिया गया था. उसके बाद उन्होंने संघर्षों के ऐसे दिन देखे जिनसे फ्लाइंग सिख के बनने की नींव रखी गई. और कभी पाकिस्तान से भगा दिए गए मिल्खा सिंह ने 1960 में पाकिस्तान में जाकर ही देश का झंडा ऊंचा किया. उसी वक्त पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने उन्हें फ्लाइंग सिख का नाम दिया. और तब से मिल्खा सिंह फ्लाइंग सिख कहलाने लगे.

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