दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Ganesh Chaturthi 2022 पर कहां किस रुप में करें भगवान गणेश की पूजा, ये हैं खास टिप्स

Ganesh Chaturthi 2022 के मौके पर पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए Lord Ganesh Idol Selection करना एक कठिन कार्य होता है. ऐसे में हम आपकी मुश्किल हल करने की कोशिश कर रहे हैं. आपको मूर्ति का चयन स्थान व उद्देश्य के हिसाब से करना चाहिए.

Ganesh Chaturthi 2022 Ganpati Puja Tips
Ganesh Chaturthi 2022

By

Published : Aug 30, 2022, 10:49 AM IST

Updated : Aug 30, 2022, 11:43 AM IST

नई दिल्ली : गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022 ) के अवसर पर लोग गणेश भगवान की मूर्ति स्थापना करने के लिए अपनी पसंद की अलग-अलग तरह की मूर्तियों का चुनाव (Lord Ganesh Idol Selection) करते हैं, लेकिन वास्तु और कुछ आध्यात्मिक नियमों को ध्यान में रखकर अगर अबकी बार आप भगवान गणेश की प्रतिमा का चयन करेंगे तो यह आपके लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा.

कहा जाता है कि गणेश जी का पूजन और भजन करने से घर व कार्यस्थल पर वास्तु दोष कम होते हैं. गणेश जी के निमित्त आराधना से वास्तु दोष से मुक्ति मिल जाया करती है. यदि आप अपने घर या कार्यालय के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाते हैं तो उसके दूसरी तरफ अर्थात् जिधर गणेश भगवान की पीठ होती है, वहां पर वास्तु दोषों का शमन होता है और वहां पर सुख, शांति और धन धान्य से परिपूर्ण समृद्धि आती है.

गणेश चतुर्थी 2022 पर प्रतिमा सेलेक्शन

31 अगस्त 2022 से देशभर में गणेश उत्सव शुरू हो रहा है और दिन से गणेश चतुर्थी 2022 की शुरुआत होगी. इस दिन सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों, कार्यालयों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के साथ साथ घर-घर गणपति की मूर्ति स्थापित की जाती है. आमतौर पर लोग घर, दुकान, ऑफिस और फैक्ट्रियों में गणपति की एक जैसी ही मूर्तियां स्थापित करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हैं. भगवान के अलग अलग स्वरुपों का अलग अलग उद्देश्य है और उसका अलग अलग तरह का महत्व है. धर्मग्रंथों और वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि हर जगह एक जैसी प्रतिमाएं रखना ठीक नहीं है. घर, कार्यालय, व्यावसायिक प्रतिष्ठान या सार्वजनिक स्थान के लिए अलग अलग तरह की मूर्तियों का सेलेक्शन उद्देश्य के हिसाब से करनी चाहिए. भगवान गणेश के 16 स्वरुपों में से इन तीन स्वरुपों की पूजा स्थान विशेश के हिसाब से की जाती है.

सिद्धि विनायक गणेश

सिद्धि विनायक (Siddhivinayak )

भगवान गणेश सुख और समृद्धि के देवता हैं और हर पूजा करने वाले साधक को वह इन चीजों से परिपूर्ण कर देते हैं. इसीलिए हिन्दू धर्म में इनकी पूजा हर मांगलिक कामों से पहले होती है. यह कार्य होने वाले काम का शुभ फल बढ़ा देता है. इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक कहते हैं. इसीलिए सिद्धि विनायक स्वरुप को घर में पूजना चाहिए. यह हर काम में आने वाली रुकावटों को दूर करने के साथ साथ उसके समाधान में मदद करने वाले होते हैं.

आप गणेश जी की प्रतिमाओं और स्वरुपों को सूंड देखकर पहचान सकते हैं. जिस प्रतिमा में भगवान गणेश की सूंड बाईं ओर मुड़ी हो वो सिद्धि विनायक होते हैं. वास्तु शास्त्र के मयमतम ग्रंथ में भी बताया गया है कि मूर्ति लाल रंग की हो और उसमें चार हाथ और बड़ा पेट होना चाहिए. दायां दांत टूटा और बायां वाला पूरा हो. साथ में नाग की जनेऊ पहने, जांघें मोटी और घुटने बड़े हों. दायां पैर मुड़ा हुआ, बायां नीचे की तरफ निकला हो. एक हाथ आशीर्वाद देते हुए और दूसरे हाथ में हथियार हो. तीसरे हाथ में मोदक और चौथे हाथ में रुद्राक्ष की माला हो. सिर पर मुकुट और गले में हार पहने हुए बैठी हुई मूर्ति को सिद्धि विनायक कहते हैं. यह सिद्धि विनायक स्वरुप को घर में पूजना चाहिए.

इसे भी जरुर देखें :यह है गणेश प्रतिमा स्थापित करने का शुभ मुहूर्त व तरीका, जानिए कैसे हुयी थी गणेश चतुर्थी की शुरुआत

विघ्नेश्वर गणपति की पूजा

विघ्नेश्वर गणपति (Vigneshwar Ganpati)

आपको अगर अपने कार्यालय या वर्क प्लेस पर भगवान गणेश की मूर्ति लगानी है तो विघ्नेश्वर गणपति का चयन करना चाहिए. विघ्नेश्वर गणपति की दाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड होती है. इनकी पूजा दुकान और ऑफिस में शुभ मानी जाती है. इनकी मूर्ति पीले रंग की हो तो सर्वोत्तम होती है. विघ्नेश्वर गणपति की काली आंखें, कान चेहरे के हिसाब से बड़े, सिर पर मुकुट और तिलक लगा चौड़ा ललाट होता है. पेट हर मूर्ति की तरह बड़ा पेट और नाग की जनेऊ धारण किए रहते हैं. ऐसी आठ हाथों वाली मूर्ति हो तो सर्वोत्तम होती है. एक हाथ आशीर्वाद देते हुए और बाकी में कमल, अंकुश, ग्रंथ, शंख, धनुष, पाश, मोदक रहे. अगर विघ्नेश्वर गणपति की खड़ी हुयी मूर्ति अच्छी मानी जाती है, लेकिन गणेश जी के दोनों पैर जमीन से छूते रहने चाहिए. इससे कार्य व व्यवसाय में स्थिरता की संभावना बढ़ती है.

इसे भी जरुर देखें :बड़ी दिलचस्प हैं भगवान गणेश के एकदंत होने की कथाएं, जानिए 4 पौराणिक प्रसंग

महागणपति

महागणपति (Mahaganpati)

अगर आपको अपने फैक्ट्री या कारखानों में मूर्ति स्थापना के लिए गणेश की मूर्ति का चुनाव करना है तो महागणपति शुभ माने जाते हैं. इनकी मूर्ति का रंग लाल या धुंए की तरह स्लेटी कलर की हो तो सर्वोत्तम होती है. मूर्ति में एक दांत हो, सूंड़ दाईं तरफ मुड़ी हुई हो. बड़ा पेट और नाग की जनेऊ के साथ साथ दस हाथ वाले गणेश मिल जाएं तो अच्छा माना जाता है. इनमें कमल, अंकुश, ग्रंथ, चक्र, मोदक, शंख, पाश, धनुष, त्रिशूल हो और एक हाथ आशीर्वाद देते हुए दिखायी देता है. कहा जाता है कि इनके दस हाथ, दसों दिशाओं में सफलता का प्रतीक है. कृष्ण ने भी इसी रूप की आराधना की थी. इनको पूजने से हिम्मत, ताकत और उत्साह हमेशा बना रहता है. इसलिए कल कारखानों में महागणपति को स्थापित करना चाहिए.

इसे भी जरुर देखें :विदेशों में गणेश चतुर्थी का है क्रेज, इन देशों में भी लोग करते हैं गणपति की पूजा

महागणपति

इन चीजों की मूर्तियों पर दें जोर

हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान गणेश की प्रतिमा मिट्टी के अलावा गाय के गोबर, सुपारी, सफेद मदार की जड़, नारियल, हल्दी, चांदी, पीतल, तांबा, स्फटिक और कुछ पूजनीय पेड़ों की लकड़ियों से बनायी जाती है. इन मूर्तियों की भी स्थापना करके आप पूजन कर सकते हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि सबसे ज्यादा मान्यता मिट्टी और सुपारी से बने गणेश की होती है, क्योंकि यह सर्वसुलभ होती हैं.

इसे भी जरुर देखें :गणेश चतुर्थी 2022 पर जानिए भगवान गणेश से जुड़े ये 11 फैक्ट्स

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

Last Updated : Aug 30, 2022, 11:43 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details