जम्मू : जम्मू-कश्मीर में निजीकरण और अन्य मांगों को लेकर बिजली विकास विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर रहे जिससे कई इलाकों में पूर्ण ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न हो गई. इससे नाराज जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी प्रदर्शन किया. वहीं, प्रशासन ने संकट से निपटने के लिए सेना के इंजीनियरिंग विंग को बुलाया है.
उन्होंने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 20 हजार बिजली कर्मियों ने जम्मू-कश्मीर पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड और पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रस्तावित संयुक्त उद्यम की योजना को ठंडे बस्ते में डालने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार आधी रात से ही काम का बहिष्कार कर दिया है.
बिजली आपूर्ति कर्मचारी समन्वय समिति के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार से वार्ता विफल होने के बाद लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ इंजीनियरों के सभी कर्मचारी संघों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है और रविवार को उन्होंने सभी जिला मुख्यालयों और दोनों राजधानियों जम्मू-श्रीनगर में प्रदर्शन किया.
अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल की वजह से केंद्र शासित प्रदेश के कई इलाकों में पूर्ण ब्लैक आउट है.इससे होने वाली परेशानी और पानी आदि की आपूर्ति रुकने से नाराज जम्मू और अन्य शहरों के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नाराजगी जताई.
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की सरकार कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है और बिजली कर्मचारियों की समन्वय समिति के साथ गोलमेज वार्ता कर रही है.
पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि पूरे मामले का यथाशीघ्र शांतिपूर्ण समाधान निकल आएगा. इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार से कहा कि वह निजीकरण के फैसले को निर्वाचित सरकार पर छोड़ दे.
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक देवेंद्र राणा ने जम्मू शहर के कई हिस्से अंधेरे में रहने पर चिंता जताई और प्रशासन से आह्वान किया कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए जल्द कदम उठाए.
जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष सईद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी सरकार द्वारा ग्रिड का निजीकरण करने के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने फैसले की समीक्षा करने की मांग की.
हमें लिखित आश्वासन चाहिए : इंजीनियर समन्वय समिति
उधर, बिजली विकास विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'लाइनमैन से लेकर इंजीनियरों तक, विभाग के सभी कर्मचारी जम्मू-कश्मीर प्रशासन के निजीकरण के फैसले के खिलाफ हड़ताल पर हैं.' जम्मू-कश्मीर पावर कर्मचारी और इंजीनियर समन्वय समिति के नेताओं मुंशी माजिद अली और सचिन टीकू ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के बीच प्रस्तावित संयुक्त उद्यम को बंद करने सहित कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं होने तक हड़ताल जारी रहेगी.'
वहीं, संभागीय आयुक्त कश्मीर पीके पोल ने कहा, 'खराब मौसम की स्थिति और घाटी के लोगों को हो रही कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को जल्द से जल्द अपनी हड़ताल वापस लेनी चाहिए.' इस पर जम्मू-कश्मीर पावर कर्मचारी और इंजीनियर समन्वय समिति के नेताओं का कहना है कि, 'हम संभागीय आयुक्त कश्मीर पीके पोल के वार्ता प्रस्ताव का स्वागत करते हैं लेकिन सक्षम प्राधिकारी से लिखित आदेश होना चाहिए, हम मौखिक आश्वासन स्वीकार नहीं करेंगे. आदेश आते ही हम दो घंटे के भीतर अपनी ड्यूटी फिर से शुरू कर देंगे.'
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वहीं, कर्मचारी नेता अनिल सिंह ने बताया, 'सरकार के साथ हमारी 2-3 बार बात हो चुकी है परन्तु किसी कारण वे सफल नहीं हो पाई. आज भी बात चल रही है. हमें प्राइवेट दायरे की तरफ ले जाया जा रहा है. हमारी दूसरी मांग सैलरी से संबंधित है.'
कल तक 100% बिजली बहाल करा देंगे : उपराज्यपाल
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल का कहना है कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के कारण 2 दिनों से लोगों को तकलीफ उठानी पड़ी है. दुर्भाग्य है कि जो लोग लंबे समय तक हाथ पर हाथ रख कर बैठे थे वो नहीं चाहते थे कि सिस्टम में सुधार हो, लोगों के जीवन में बदलाव आए. सिस्टम ठीक से चले वो ऐसी मंशा नहीं रखते हैं. किसी के वेतन का एक पैसा बकाया नहीं है. ये हमारी प्रतिबद्धता है कि हम कल तक 60% बिजली ठीक कर पाए थे और कल तक 100% बिजली ठीक कर लेंगे.