दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

ISRO SSLV-D2 Small Satellite Launch : तीन उपग्रहों के साथ एसएसएलवी ने श्रीहरिकोटा से दूसरी 'विकास उड़ान' भरी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) श्रीहरिकोटा से शुक्रवार को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) उड़ान भरा. SSLV-D2 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र-शार, श्रीहरिकोटा के पहले लॉन्च पैड से ठीक 09:18 बजे IST से प्रक्षेपित हुआ.

ISRO SSLV-D2 Small Satellite Launch
प्रतिकात्मक तस्वीर

By

Published : Feb 10, 2023, 8:48 AM IST

Updated : Feb 10, 2023, 10:02 AM IST

श्रीहरिकोटा : श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) एलवी डी2 ने शुक्रवार को यहां से उड़ान भरी. इसने ईओएस-07 उपग्रह और दो अन्य उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. अपनी दूसरी विकास उड़ान में एलवी डी2 ने पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित 'स्पेस किड्ज इंडिया' के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी. यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है.

इसरो ने बताया कि एलवी डी2 ने तीनों उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित कर दिया. साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद 34 मीटर लंबे रॉकेट को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया. इसरो को छोटे उपग्रह प्रक्षेपण वाहन बाजार में सफलता हासिल करने के लिए इस प्रक्षेपण से काफी उम्मीदें हैं.

पढ़ें : Joshimath Sinking: एक साथ धंस सकता है इतना बड़ा इलाका, ISRO की सैटेलाइट इमेज से खुलासा

लॉन्च का उद्देश्य क्या है? :SSLV-D2 को उभरते छोटे और सूक्ष्म उपग्रह वाणिज्यिक बाजार पर कब्जा करने के लिए विकसित किया गया है. जिसमें ऑन डिमांड लॉन्च की पेशकश की गई है. इसरो के वर्कहॉर्स पीएसएलवी के लिए छह महीने और लगभग 600 लोगों की तुलना में रॉकेट को केवल कुछ दिनों में एक छोटी सी टीम द्वारा प्रक्षेपण के लिए तैयार किया जा सकता है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मीडिया को बताया था कि हमारी योजना इसे एक सप्ताह में प्रक्षेपण के लिए तैयार करना है. उन्होंने कहा था कि SSLV-D2 की असेंबली दो दिनों में की जा सकती है. इसके बाद परीक्षण के दो दिन, और अगले दो दिन हम पूर्वाभ्यास और लॉन्च कर सकते हैं.

पढ़ें : ISRO Chief on three big launches : अगले तीन महीनों में तीन बड़े प्रक्षेपण किए जाएंगे : इसरो प्रमुख

लॉन्च का यह दूसरा प्रयास : प्रक्षेपण यान उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए तरल-ईंधन-आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (वीटीएम) के बाद तीन ठोस चरणों का उपयोग करता है. महामारी के कारण बार-बार देरी के बाद पिछले अगस्त में हुई यान की पहली उड़ान, उपग्रहों को सटीक कक्षा में स्थापित करने में विफल रही थी. यह दूसरे चरण के अलगाव के दौरान एक्सेलेरोमीटर द्वारा महसूस किए गए अत्यधिक कंपन के कारण हुआ था. जिसने ऑन-बोर्ड सिस्टम को यह संदेश दिया कि इसके सेंसर काम नहीं कर रहे हैं.

पढ़ें : ISRO के छात्र ने तेलंगाना के छात्रों पर किडनैपिंग की धमकी देने का लगाया आरोप

किये गये हैं जरूरी बदलाव: दूसरी उड़ान के लिए, उपकरण बे में संरचनात्मक परिवर्तन किए गए हैं, साथ ही चरण 2 के लिए पृथक्करण तंत्र में परिवर्तन और ऑन-बोर्ड सिस्टम में जरूरी परिवर्तन किए गए हैं. दो सफल विकास उड़ानें पूरी करने के बाद अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा एक नए वाहन को इस्तेमाल के लायक घोषित किया जाता है. परिचालन घोषित किया जाने वाला अंतिम वाहन जीएसएलवी एमके III था, जिसे अब एलवीएम 3 कहा जाता है. यह 2019 में चंद्रयान -2 को ले गया था.

पढ़ें : इसरो और मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ ने किया हाइपरसोनिक वाहन का परीक्षण

(एक्सट्रा इनपुट : पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Feb 10, 2023, 10:02 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details