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Income Tax Day: भारत पर मुगलों की रही सबसे ज्यादा हुकूमत, लेकिन 'सबसे बड़ी लूट' की अंग्रेजों ने... जानें कैसे

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Published : Jul 24, 2021, 6:00 AM IST

जनवरी से मार्च का महीना इनकम टैक्स को लेकर बेहद व्यस्तता भरा होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में इनकम टैक्स की शुरुआत आखिर कैसे हुई ? कहां से यह अवधारणा विकसित हुई और इसे किसने लागू किया. आइए, आज हम आपको बता रहे हैं कि भारत में इनकम टैक्स (July 24 is marked as Income Tax Day) का पूरा इतिहास.

July 24 is marked as Income Tax Day, British Empire
अंग्रेजी शासन में टैक्स वसूली

हैदराबाद: सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश भारत पर हमेशा से ही विदेशी आक्रमणकारियों की नजर रही और जब जिसको मौका मिला वो आया और कंगाल किया. पर एक दिलचस्प बात है कि 300 सालों से ज्यादा के राज में भारत को जितना मुगल नहीं लूट पाए, उससे ज्यादा या यूं कहें कि इतिहास की 'सबसे बड़ी लूट' की अंग्रेजों (British Empire) ने, वो भी 200 सालों के शासन में. एक अध्ययन के मुताबिक, करीब तीन हजार लाख करोड़ रुपये लूटकर अंग्रेज ले गए. वर्तमान में केंद्र सरकार की आय के तीसरे प्रमुख स्रोत इनकम टैक्स (Income Tax Day) की भी शुरुआत अंग्रेजों ने ही 1860 में की थी. आयकर दिवस पर आइए जानते हैं देश की अब तक की कर व्यवस्था के दिलचस्प पहलुओं को...

भारत के अब तक के इतिहास में 332 साल तक शासन किया मुगलों (mughal Rule) ने जो कि 1526 में बाबर से शुरू होकर 1858 तक चला. इस समय का सबसे महत्वपूर्ण कर था जजिया. जजिया एक प्रकार का धार्मिक कर है था. इसे मुस्लिम राज्य में रहने वाली गैर मुस्लिम जनता से वसूल किया जाता था. इस्लामी राज्य में केवल मुसलमानों को ही रहने की अनुमति थी और यदि कोई गैर-मुसलमान उस राज्य में रहना चाहे तो उसे जजिया देना होता था.

इसे देने के बाद ही गैर मुस्लिम लोग इस्लामिक राज्य में अपने धर्म का पालन कर सकते थे. इस कर से मिलने वाली राशि को दान, तनख्वाह, पेंशन बांटने के साथ ही कई शासक सैन्य खर्चों के बाद बचने वाले पैसे को शासक के निजी कोष में जमा किया जाता था. कई मुस्लिम बादशाहों ने इस कर को समाप्त करने की पहल की थी, जिसमें अहम नाम सम्राट अकबर (Akbar) का है.

अंग्रेजों के जमाने में ऐसे वसूला जाता था टैक्स

जानी-मानी अर्थशास्त्री उत्सव पटनायक की इकोनॉमी स्टडी रिसर्च रिपोर्ट (Economy Study Research Report) के अनुसार, 1765 से 1938 के बीच अंग्रेज भारत से 45 टिलियन डॉलर की संपत्ति लूटकर ले गए. ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में एक्सचेंज रेट 4.8 अमेरिकी डॉलर प्रति पाउंड था. भारत से जो पैसा ब्रिटेन ने भारत से चुराया उसे हिंसा के लिए इस्तेमाल किया. साल 1847 तक पूरी तरह से ब्रिटिश राज भारत में लागू होने के बाद टैक्स एंड बाय सिस्टम लागू किया गया.

ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का काम कम हो गया और भारतीय व्यापारी खुद निर्यात करने के लिए तैयार हो गए. भारत से जो कोई भी विदेशी व्यापार करना चाहता था उसे खास काउंसिल बिल का इस्तेमाल करना होता था. ये एक अलग पेपर करंसी होती थी, जो सिर्फ ब्रिटिश क्राउन द्वारा ही ली जा सकती थी और उन्हें लेने का एक मात्र तरीका था लंदन में सोने या चांदी द्वारा बिल लिए जाएं. जब भारतीय व्यापारियों के पास ये बिल जाते थे तो उन्हें इसे अंग्रेज सरकार से कैश करवाना होता था.

इन बिल्स को कैश करवाने पर उन्हें रुपयों में पेमेंट मिलती थी. ये वो पेमेंट होती थी जो उन्हीं के द्वारा दिए गए टैक्स द्वारा इकट्ठा की गई होती थी यानी व्यापारियों का पैसा ही उन्हें वापस दिया जाता था. इसका मतलब बिना खर्च अंग्रेजी सरकार के पास सोना-चांदी भी आ जाता था और व्यापारियों को लगता था कि ये पैसा उनका कमाया हुआ है. ऐसे में लंदन में वो सारा सोना-चांदी इकट्ठा हो गया जो सीधे भारतीय व्यापारियों के पास आना चाहिए था.

जानें अंग्रेजों के लगाए गए करों के बारे में

आश्चर्य तो यह कि आजादी के पहले अंग्रेजों के जमाने में भारतीयों से मोटराना (जमींदार के लिए कार-मोटर खरीदने संबंधी लगान) और हथियाना (जमींदार के हाथी के खानपान के इंतजाम संबंधी लगान) जैसे टैक्स भी वसूले जाते थे, जिससे जनता का कोई लेना देना नहीं होता था. अंग्रेजों ने भारतीय जनता पर अपना कब्जा जमाने के लिए रियासतों के राजाओं को साध लिया था.

उस समय लगान की वसूली जमींदार करते थे और वे स्थानीय भाषा, भूषा और अन्य जानकारी के कारण अंग्रेजों के लिए अच्छे टैक्स कलेक्टर साबित होते थे. मगर ये जमींदार अपने ही देश की गरीब जनता पर अत्याचार करते और नई-नई तरह के लगान लगा देते. बेचारे गरीब लोग अपने बच्चों का पेट काटकर, खुद भूखे सोकर मोटराना, हाथियाना टैक्स देते. जमींदार और अंग्रेज उस टैक्स से मोटरों में ऐश से घूमते और अपने हाथियों को अच्छ अनाज खिलाते. कई जमींदार अपने घोड़ों को खिलाने-पिलाने के लिए घोड़ियाना टैक्स वसूलते.

महिलाओं को छाती ढंकने पर देना पड़ता था टैक्स

19वीं सदी की शुरुआत में केरल के त्रावणकोर के तत्कालीन राजा के समय में निचली जाति की महिला के सामने अगर कोई अफसर, ब्राह्मण आ जाता था तो उसे छाती से अपने वस्त्र हटाने होते थे या छाती ढकने के एवज में टैक्स देना होता था. किसी भी सार्वजनिक जगह पर उन्हें इस नियम का पालन करना होता था.

इस टैक्स को बहुत सख्ती के साथ लागू किया गया था. बाद में नांगेली नाम की निचली जाति की एक साहसी महिला ने इस अमानवीय टैक्स का विरोध किया तो जुर्म में उसके स्तन काट दिए गए और उसकी मौत हो गई. बाद में अंग्रेजों के दबाव में 125 सालों से लागू रहे इस टैक्स को बंद करना पड़ा.

केंद्र सरकार की इन स्रोतों से होती है आय

केंद्र सरकार (Central Government) देश के विकास के लिए लोगों से कर लेती है वहीं इस धन को सार्वजानिक व्यय के माध्यम से खर्च भी करती है. आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में सरकार की आय का प्रमुख स्रोत वस्तु एवं सेवा कर (34 % योगदान) है इसके बाद कारपोरेशन टैक्स (28%) और आय कर की हिस्सेदारी 24% है. भारत में 2 करोड़ रुपये और 5 रुपये के बीच कमाने वाले व्यक्तियों के लिए उच्चतम इनकम टैक्स की दर 39 फीसदी है. 5 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक आय वालों को 42.74 फीसदी है.

इसके अलावा, भारत में इनकम टैक्स की अन्य दरें भी हैं. उदाहरण के लिए भारत में 2.5 लाख तक की सालाना कमाई वाले लोगों कोई टैक्स नहीं देना होता है. वहीं, 2.5-5 लाख रुपये की कमाई पर 5 फीसदी टैक्स, 5-10 लाख रुपये की कमाई पर 20 फीसदी टैक्स और 10 लाख एवं उससे अधिक की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है.

विश्व के इन दस देशों में नहीं लगता इनकम टैक्स

विश्व के 10 देशों सऊदी अरब, जीडीपी के लिहाज से दुनिया का सबसे अमीर देश कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बहरीन, कुवैत, बरमूडा, केमन आइलैंड्स, बहामाज और हॉन्ग कॉन्ग की जनता को अपनी सरकार को इनकम टैक्स नहीं देना होता है.

इन 10 देशों वसूला जाता है सबसे ज्यादा आयकर

  • स्वीडन में इनकम टैक्स की दर 57.19 फीसदी है.
  • एशियाई देश जापान भले ही क्षेत्रफल के मामले में दुनिया के कई आर्थिक शक्तियों के मुकाबले छोटा होने के बावजूद यहां उच्च आय वाले लोगों को 55.95 फीसदी इनकम टैक्स के तौर पर चुकाने होते हैं.
  • यूरोपीय मुल्क ऑस्ट्रिया में उच्च आय वाले लोगों को इनकम टैक्स के रूप में 55 फीसदी का भुगतान करना होता है.
  • नीदरलैंड में उच्च आय वाले लोगों को 51.75 फीसदी टैक्स के तौर पर चुकाना होता है.
  • यूरोपीय देश बेल्जियम में इनकम टैक्स के तौर पर 50 फीसदी का भुगतान करना पड़ता है.
  • आयरलैंड में उच्च आय वाले लोगों को 48 फीसदी इनकम टैक्स के रूप में चुकाना होता है.
  • ऑस्ट्रेलिया में उच्च आय वाले लोगों को अपनी कमाई पर 45 फीसदी इनकम टैक्स के रूप में चुकाना होता है.
  • पड़ोसी मुल्क चीन में 45 फीसदी इनकम टैक्स के तौर पर चुकाना होता है.
  • परफ्यूम और पर्यटन के लिए यूरोपीय मुल्क फ्रांस में इनकम टैक्स के तौर पर 45 फीसदी का भुगतान करना पड़ता है.
  • यूरोप के सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से संपन्न मुल्क जर्मनी में लोगों को अपनी आय पर 45 फीसदी इनकम टैक्स के तौर पर चुकाना होता है.

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