नई दिल्ली : मुद्रास्फीतिक दबाव, विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर बढ़ाये जाने और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका जैसे वैश्विक आर्थिक कारणों से एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) पर दबाव पड़ा और उन्होंने घरेलू बाजार में बिकवाली की. संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2023) में यह भी कहा गया है कि निवेशक घरेलू शेयर बाजार में लाभ की स्थिति में है.
समीक्षा के अनुसार, उक्त कारणों से एफपीआई ने चालू वित्त वर्ष में घरेलू पूंजी बाजार से 16,153 करोड़ रुपये निकाले. जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 5,578 करोड़ रुपये निकाले गये थे. इक्विटी शेयर और बॉन्ड खंडों में शुद्ध रूप से निकासी हुई है.
एफपीआई ने शेयर बाजार से 11,421 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार से 12,400 करोड़ रुपये निकाले. दूसरी तरफ, उन्होंने आलोच्य अवधि में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वॉलेन्ट्री रिटेंशन रूट-वीआरआर) के जरिये शुद्ध रूप से 8,662 करोड़ रुपये लगाये. वीआरआर रिजर्व बैंक की तरफ से पेश एक चैनल है जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक देश के बॉन्ड बाजार में निवेश करते हैं.
हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद और समय-समय पर बाजार में जोखिम लेने की क्षमता में सुधार से पूंजी निकासी के बावजूद एफपीआई के अधीन संपत्ति बढ़ी है. एफपीआई के अधीन कुल संपत्तियां नवंबर, 2022 के अंत तक 3.4 प्रतिशत बढ़कर 54 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो 2021 में इसी अवधि में 52.2 लाख करोड़ रुपये थीं.