भोपाल।सुख समृद्धि धन वैभव ऐश्वर्य के पर्व दीपावली इसकी शुरुआत शुक्रवार से हो गई है. प्रदोष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे. इस दिन भोपाल शहर के तुलसी नगर में एकमात्र धनवंतरी मंदिर में विशेष पूजन अर्चना होती है. वहीं भोपाल के बरखेड़ा पठानी के विंध्य हर्बल में भगवान धन्वंतरि की देश में एकमात्र ऐसी प्रतिमा है. जो सागौन की लकड़ी से बनी है. यहां भी प्रतिमा की विशेष पूजन अर्चना होती है.
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी ने दी जानकारी: देशभर से आए आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञ धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता भगवान की पूजा करते हैं, लेकिन भोपाल शहर में धन्वंतरि का एकमात्र मंदिर है. आरोग्य भारती के केंद्रीय कार्यालय परिसर में ये बनाया गया है. इसकी स्थापना 5 अगस्त 2021 में धनतेरस पर हुई थी. 4 फीट की यह प्रतिमा जयपुर से मंगाई गई थी. वहीं इस प्रतिमा और मंदिर को लेकर आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी मिहिर कुमार झा ने ईटीवी भारत के संवाददाता सरस्वती चंद्र से बात की.
आयुर्वेद विशेषज्ञों ने विशेष मंत्रों के साथ की थी स्थापना:आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी मिहिर कुमार झा ने बताया कि जब प्रतिमा लाई गई थी, तो इसकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए देशभर से आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञ पहुंचे थे. प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जो हवन का उपयोग किया गया था. वह पूरी तरह औषधि था. वहीं मंत्रों के लिए आयुर्वेद मंत्र विशेषज्ञों ने विधि-विधान से पूजन किया गया था. कार्यालय मंत्री ने बताया कि ये अपने आप में एकलौता मंदिर है.
भोपाल में भगवान धन्वंतरि की एक खास प्रतिमा: वहीं भोपाल में सरकारी उपक्रम विंध्य वैली में भगवान धन्वंतरि की एक पांच फीट की प्रतिमा भी है. इसकी खासियत ये है की नक्काशी इस तरह से की गयी है, की इसमें एक भी जोड़ नहीं है. शहर में भगवान धन्वंतरि की इकलौती ऐसी प्रतिमा है, जो सागौन की लकड़ी से बनी है. विंध्य हर्बल परिसर में स्थापित इस प्रतिमा की खासियत यह है कि चार फीट की इस प्रतिमा में एक भी जोड़ नहीं है. प्रतिमा में की गई नक्काशी इतनी बारीक है कि भगवान के पहने हुए वस्त्र की सिलवटों को स्पष्ट देखा जा सकता है. भगवान अपने हाथ में अमृत कलश, शंख, आयुर्वेद पत्रिका और पुष्प जलोका लिए हुए हैं. दोनों स्थानों पर सुबह और शाम नियमित रूप से पूजन किया जाता है.
राजधानी भोपाल में धनवंतरी भगवान धन्वंतरि की पूजा अलग-अलग स्थान पर होती है.
शिवाजी नगर के आयुर्वेद चिकित्सालय में पूजा और सेमिनार का आयोजन होता है.