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Dhanteras 2023: भोपाल में भगवान धन्वंतरि का इकलौता मंदिर, भोपाल में प्रतिमा भी अपने आप में अलग

भगवान धन्वंतरि का एकलौता मंदिर व प्रतिमा एमपी की राजधानी भोपाल में है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है. भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माने जाते हैं.

Dhanteras 2023
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 10, 2023, 9:36 PM IST

भोपाल में भगवान धन्वंतरि का इकलौता मंदिर

भोपाल।सुख समृद्धि धन वैभव ऐश्वर्य के पर्व दीपावली इसकी शुरुआत शुक्रवार से हो गई है. प्रदोष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि सोने के कलश के साथ प्रकट हुए थे. इस दिन भोपाल शहर के तुलसी नगर में एकमात्र धनवंतरी मंदिर में विशेष पूजन अर्चना होती है. वहीं भोपाल के बरखेड़ा पठानी के विंध्य हर्बल में भगवान धन्वंतरि की देश में एकमात्र ऐसी प्रतिमा है. जो सागौन की लकड़ी से बनी है. यहां भी प्रतिमा की विशेष पूजन अर्चना होती है.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी ने दी जानकारी: देशभर से आए आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञ धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता भगवान की पूजा करते हैं, लेकिन भोपाल शहर में धन्वंतरि का एकमात्र मंदिर है. आरोग्य भारती के केंद्रीय कार्यालय परिसर में ये बनाया गया है. इसकी स्थापना 5 अगस्त 2021 में धनतेरस पर हुई थी. 4 फीट की यह प्रतिमा जयपुर से मंगाई गई थी. वहीं इस प्रतिमा और मंदिर को लेकर आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी मिहिर कुमार झा ने ईटीवी भारत के संवाददाता सरस्वती चंद्र से बात की.

आयुर्वेद विशेषज्ञों ने विशेष मंत्रों के साथ की थी स्थापना:आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी मिहिर कुमार झा ने बताया कि जब प्रतिमा लाई गई थी, तो इसकी प्राण-प्रतिष्ठा के लिए देशभर से आयुर्वेद के विषय विशेषज्ञ पहुंचे थे. प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जो हवन का उपयोग किया गया था. वह पूरी तरह औषधि था. वहीं मंत्रों के लिए आयुर्वेद मंत्र विशेषज्ञों ने विधि-विधान से पूजन किया गया था. कार्यालय मंत्री ने बताया कि ये अपने आप में एकलौता मंदिर है.

भोपाल में भगवान धन्वंतरि की एक खास प्रतिमा: वहीं भोपाल में सरकारी उपक्रम विंध्य वैली में भगवान धन्वंतरि की एक पांच फीट की प्रतिमा भी है. इसकी खासियत ये है की नक्काशी इस तरह से की गयी है, की इसमें एक भी जोड़ नहीं है. शहर में भगवान धन्वंतरि की इकलौती ऐसी प्रतिमा है, जो सागौन की लकड़ी से बनी है. विंध्य हर्बल परिसर में स्थापित इस प्रतिमा की खासियत यह है कि चार फीट की इस प्रतिमा में एक भी जोड़ नहीं है. प्रतिमा में की गई नक्काशी इतनी बारीक है कि भगवान के पहने हुए वस्त्र की सिलवटों को स्पष्ट देखा जा सकता है. भगवान अपने हाथ में अमृत कलश, शंख, आयुर्वेद पत्रिका और पुष्प जलोका लिए हुए हैं. दोनों स्थानों पर सुबह और शाम नियमित रूप से पूजन किया जाता है.

राजधानी भोपाल में धनवंतरी भगवान धन्वंतरि की पूजा अलग-अलग स्थान पर होती है.

शिवाजी नगर के आयुर्वेद चिकित्सालय में पूजा और सेमिनार का आयोजन होता है.

नेहरू नगर में आयुर्वेदिक अस्पताल खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज और अस्पताल में सुबह पूजन की गई.

बरखेड़ा पठानी में विंध्य हर्बल परिसर में शाम को पूजा और आरती हुई.

कोलार के संजीवनी आयुर्वेद में सुबह पूजन की गई.

मानसरोवर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में भी पूजन अर्चना हुई.

धन्वंतरि आयुर्वेद जगत के माने जाते हैं देवता: भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में वेद समाज भगवान धन्वंतरि की पूजन-अर्चना होती है. उनके प्रतिकृत्यायन किताब प्रकट की जाती है. उनसे यह प्रार्थना की जाती है कि वह समस्त विश्व को निरोगी रखें और मानव समाज को रोग विहीन कर उसे दीर्घायु प्रदान करें. वहीं दूसरी तरफ उनकी याद में धन त्रयोदशी को नए बर्तन आभूषण खरीद कर शुभ और मांगलिक मानकर पूजन की जाती है. लोगों के मन में यह विश्वास रहता है कि वह बर्तन और आभूषण उन्हें वृद्धि के साथ-साथ धन-धान्य से भरपूर रखेंगे और कभी भी खालीपन का एहसास नहीं होगा. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेदिक जगत के चिकित्सा शास्त्र के देवता माने जाते हैं.

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माता लक्ष्मी के भाई के रूप में जाने जाते हैं धन्वंतरि:इनको 24 अवतारों के अंतर्गत होने के कारण भगवान विष्णु का अवतार श्री राम और श्री कृष्ण के समान इन्हें पूजा जाता है. हिंदू धर्म में वर्णित कई तरह की कथाओं में कहा गया है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष के द्वादशी तिथि को कामधेनु त्रयोदशी को धनवंतरी चतुर्दशी को महाकाली और अमावस्या को माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थी. धन्वंतरि को माता लक्ष्मी के भाई के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि दोनों का प्राकट्य समुद्र से हुआ था.

आरोग्य भारती के संगठन सचिव अशोक कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि धनतेरस के मौके पर मंदिर में महिलाओं और बच्चों को आयुर्वेदिक औषधियां और च्यवनप्राश भी बांटा गया. इस मौके पर लोगों को पदाधिकारी ने बताया की आयुर्वेद में वह शक्ति है, जिससे आप बिना साइड इफेक्ट के ठीक हो सकते हैं. साथ ही योग करने के फायदे भी बताए गए.

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