लखनऊ:उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लग सकता है. चर्चा है कि कांग्रेस के जी-23 में शुमार पूर्व सांसद राज बब्बर जल्द ही समाजवादी पार्टी में लौट सकते हैं. इस अटकल को हवा उस समय मिली, जब सपा प्रवक्ता फखरूल हसन चंद ने लिखा कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व समाजवादी नेता अभिनेता जल्द ही समाजवादी बनेंगे.
सोमवार को राज बब्बर को कांग्रेस ने यूपी चुनाव के पहले चरण के लिए 30 स्टार प्रचारकों में शामिल किया था. अगर चुनाव के बीच राज बब्बर समाजवादी पार्टी में शामिल होते हैं तो कांग्रेस की मुसीबत बढ़ जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, वह समाजवादी पार्टी के नए मुखिया अखिलेश यादव के संपर्क में हैं.
गौरतलब है कि गुरुवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म पुरस्कार देने पर पार्टी के कुछ नेताओं ने तंज कसे थे. इसके बाद राज बब्बर ने गुलाम नबी आजाद को बधाई दी थी. उन्होंने लिखा कि, अवार्ड की अहमियत तो तब है जब विरोधी पक्ष किसी नेता की उपलब्धियों को सम्मान दे - अपनी सरकार में तो कोई भी ख़्वाहिश पूरी कर सकते हैं लोग. PadmaBhushan को लेकर जारी बहस मुझे लगता है ग़ैरज़रूरी है.
बता दें राज बब्बर 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में हाशिए पर चल रहे हैं. वह गाजियाबाद में गाजियाबाद सीट से जनरल वीके सिंह ने हराया था. गौरतलब है कि राज बब्बर ने 1989 में जनता दल से अपने राजनीति की शुरुआत की थी. 5 वर्षों तक जनता दल के साथ रहने के बाद1994 में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और राज्यसभा सांसद बने. 2004 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे. अमर सिंह से विवाद के बाद उन्होंने 2006 में सपा से नाता तोड़ लिया . राज बब्बर 2008 में कांग्रेस में शामिल हो गए. 2009 में उन्होंने फिरोजाबाद में डिंपल यादव को हराकर सनसनी फैला दी थी. वह आगरा से भी सांसद चुने गए.
अखिलेश की पत्नी को हराकर दिया था सपा को झटका
राजनीति में राजबब्बर के कद का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि जब 2009 के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें फिरोजाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव उनके सामने प्रत्याशी के रूप में थी. राजबब्बर ने डिंपल को सम्मान तो पूरा दिया लेकिन अखिलेश यादव की पत्नी को फिरोजाबाद सीट पर बुरी तरह पटखनी दे दी. इससे समाजवादी पार्टी और राजबब्बर के संबंधों में और भी ज्यादा दरार आ गई थी.
कांग्रेस ने बनाया प्रदेश अध्यक्ष
कांग्रेस पार्टी ने राजबब्बर को साल 2016 में उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की कमान सौंप दी. राजबब्बर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. राज बब्बर के नेतृत्व में 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में संपन्न हुआ, लेकिन यह चुनाव राजबब्बर के मन मुताबिक नहीं था. कांग्रेस पार्टी ने यूपी में समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर लिया. जबकि राजबब्बर यह गठबंधन नहीं चाहते थे. उनकी नाराजगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता था कि सपा कार्यालय में संयुक्त प्रेस वार्ता होनी थी तो इसके लिए वे तैयार नहीं हुए. आखिरकार आनन-फानन में यह प्रेस वार्ता राजधानी लखनऊ के एक होटल में आयोजित करनी पड़ी. तब जाकर अखिलेश यादव के साथ राजबब्बर ने मंच साझा किया था. इस चुनाव में कांग्रेस की सिर्फ सात सीटें आई थीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी उत्तर प्रदेश में सिर्फ सोनिया गांधी के रूप में सिर्फ एक ही सांसद बना पाई थी. इसके बाद राज बब्बर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
सपा के साथ बसपा भी में चल रही बात
सूत्र बताते हैं कि राजबब्बर घर वापसी भी कर सकते हैं और बहुजन समाज पार्टी की तरफ भी रुख कर सकते हैं. दरअसल, समाजवादी पार्टी उनका एक तरह से घर ही है. इस पार्टी से वह सांसद रह चुके हैं. पार्टी ने बहुत कुछ दिया है. ऐसे में समाजवादी पार्टी तो उनके लिए विकल्प है ही, लेकिन बहुजन समाज पार्टी में उनके समधी पूर्व आईएएस अनिल घोष है और वे भी राजबब्बर को इसी पार्टी में लाने की कोशिश में लगे हैं. बहुजन समाज पार्टी से तमाम बड़े नेता जा चुके हैं ऐसे में राजबब्बर को बहुजन समाज पार्टी में ऊंचा स्थान दिलाकर शामिल कराने के लिए बात चल रही है.
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