शिमला : सुक्खू सरकार द्वारा हिमाचल में स्थित 172 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाने के खिलाफ बुधवार को पंजाब औऱ हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पास हुआ. दोनों विधानसभाओं ने वाटर सेस लगाने के फैसले को गैरकानूनी बताते हुए इसे इंटर स्टेट वाटर ट्रीटी के खिलाफ बताया है. पंजाब विधानसभा की ओर से तो केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर हिमाचल सरकार को ये आदेश वापस लेने की मांग की गई. दरअसल हिमाचल पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए सुक्खू सरकार ने कई फैसले लिए हैं उनमें से ही एक फैसला वाटर सेस लगाने का भी है. पड़ोसी राज्यों की विधानसभाओं में प्रस्ताव पास होने के बाद सीएम सुक्खू ने गुरुवार को विधानसभा में इस मामले पर सरकार का रुख साफ किया और कहा कि पानी पर सेस लगाने का अधिकार राज्य का है और इसमें किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है. दरअसल Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 को विधानसभा से पारित हो गया है और सरकार ने इसे 10 मार्च से लागू कर दिया गया है.
'पंजाब-हरियाणा के पानी पर नहीं लगाया सेस'- सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सरकार पंजाब या हरियाणा के पानी पर वाटर सेस नहीं लगा रही बल्कि हिमाचल में मौजूद हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर ये सेस लगाया गया है. इसलिये इससे पंजाब और हरियाणा सरकार को चिंता करने की जरूरत नहीं है. सीएम सुक्खू ने कहा कि वो इस मुद्दे पर जल्द ही दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे. सुक्खू ने कहा कि बीबीएमबी में 7.19% हिस्सेदारी हिमाचल की भी है, हमारी मांग है कि बीबीएमबी में हमें पार्टनर स्टेट बनाया जाए क्योंकि सारा बहता हुआ पानी तो हिमाचल का है लेकिन हमें बीबीएमबी में पार्टनर स्टेट भी नहीं माना जाता है.
'किसी जल संधि का उल्लंघन नहीं हुआ है'- सीएम सुक्खू ने कहा कि वाटर सेस लगाने के फैसले पर पंजाब सरकार की आपत्ति गलत है और हिमाचल के बिल से इंडस वाटर ट्रीटी का उल्लंघन नहीं हुआ है. पानी पर टैक्स लगाना राज्य सरकार का विषय है, BBMB की 3 परियोजनाओं के जलाशयों से हिमाचल के पर्यावरण को नुकसान हुआ है लेकिन हमें तय लाभ आज तक नहीं मिले हैं. सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा जो Water Cess on Hydro Power Generation Act 2023 लागू किया गया है वो राज्यों के बीच की जल संधियों या indus Water Treaty 1960 का उल्लंघन नहीं करता है.
'पानी पर सेस लगाना सरकार का अधिकार'- सीएम सुक्खू ने कहा कि पंजाब औऱ हरियाणा का ये कहना बिल्कुल भी तर्कसंगत नही हैं कि वाटर सेस का फैसला अंतर्राजीय जल विवाद अधिनियम 1956 का उल्लंघन है. क्योंकि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर Water Cess लगाने से पड़ोसी राज्यों को छोड़े जाने वाले पानी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस फैसले का कोई भी प्रावधान पड़ोसी राज्यों के जल अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है. सीएम ने कहा कि बिजली उत्पादन पर सेस लगाना राज्य का अधिकार है. मुख्यमंत्री ने साफ किया कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार पानी राज्य का विषय है और इसके जल संसाधनों पर राज्य का अधिकार है. इस कदम का सिंधु जल संधि, 1960 पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वाटर सेस लगाने से ना तो पड़ोसी राज्यों को पानी छोड़े जाने पर कोई असर पड़ता है और ना ही नदियों के प्रभाव के पैटर्न में कोई परिवर्तन आएगा.