नई दिल्ली : क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया ( Crop Care Federation of India), इंडियन एग्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज (Indian Agrochemical Industries ) के एक समूह ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित अपनी 58 वीं वार्षिक आम बैठक में भारत को एग्रोकेमिकल्स में आत्मनिर्भर बनाकर मोदी सरकार के मेक इन इंडिया और 'आत्मनिर्भर भारत' (Aatmnirbhar Bharat) की अधिक सफलता के लिए बेहतर सरकारी सहयोग की अपील की.
CCFI की सदस्य कंपनियां भारत से होने वाले निर्यात में लगभग 90% का योगदान करती हैं. भारत से कृषि रसायनों का कुल निर्यात लगभग ₹30,000 करोड़ है.
CCFI के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक शाह ने कहा कि वे आने वाले वर्षों में निर्यात को दोगुना करने का इरादा रखते हैं, लेकिन उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्हें भारतीय कृषि रसायन निर्माण उद्योग (Indian agrochemical manufacturing industry) में अनुकूल नीति निर्माण के संदर्भ में सरकार से समर्थन की आवश्यकता है.
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लिए बेहतर नीतियां चाहता है CCFI CCFI की सदस्य कंपनियां अब दुनिया के 130 देशों को निर्यात कर रही हैं. इन देशों में अमेरिका, यूरोप, ब्राजील, चीन आदि शामिल हैं.
शाह ने कहा कि अगर हम अपने उत्पादों की गुणवत्ता की बात करें तो आज तक एक भी शिकायत नहीं मिली है और लगभग सभी कंपनियों की ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. यह हमारी क्षमता और भारतीय कृषि रसायन निर्माताओं की क्षमता को भी दर्शाता है.
सीसीएफआई निर्यात, आयात और उद्योग से जुड़े अन्य मुद्दों पर सरकार के साथ नियमित पत्राचार करता रहा है. कृषि आयुक्त (Agriculture Commissioner D) डॉ एस के मल्होत्रा और डॉ. एससी दुबे (Dr. S K Malhotra and Dr. SC Dubey), एडीजी प्लांट प्रोटेक्शन आईसीएआर की उपस्थिति में, सदस्यों ने उद्योग को सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (Production Linked Incentive) योजना के तहत लाने की अपनी मांग का भी हवाला दिया.
महासंघ के सदस्यों के अनुसार उनके पास कणिकाओं, तरल पदार्थ और वेटेबल पाउडर के उत्पादन में लगभग 35% की निष्क्रिय क्षमता है, जबकि साथ ही कृषि रसायनों के आयात में सालाना आधार पर 37% की वृद्धि हुई है.
वर्ष 2019-20 में कृषि रसायनों का आयात लगभग ₹9096 करोड़ था जो 2020-21 में बढ़कर 12410 करोड़ हो गया. दूसरी ओर घरेलू निर्माताओं ने कई मॉलिक्यूल्स की कीमत 50 से 78% तक कम कर दी है. महासंघ द्वारा अपनी 58वीं एजीएम में तथ्यों और आंकड़ों के साथ एक वीडियो फिल्म भी जारी की गई.
दीपक शाह ने कहा कि ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियां (multinational companies) मुख्य रूप से चीन के देशों से आयात कर रही हैं. वे उत्पाद लाते हैं, इसे पैकेजिंग के लिए ठेकेदारों को देते हैं, फिर इसे ब्रांड करते हैं और भारतीय किसानों को उच्च कीमत पर बेचते हैं. इस प्रकार विदेशी मुद्रा और मुनाफे की एक बड़ी राशि अन्य देशों को जा रही है.
पढ़ें - वित्त मंत्री को क्यों लगा कि भारत में जरूरी है एसबीआई जैसे चार-पांच बड़े बैंक
किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम (Farmers Training Program) और सीसीएफआई सदस्यों द्वारा सुरक्षा किटों के मुफ्त वितरण जैसी सामाजिक पहलों को भी 'द अनसंग हीरोज' नामक एक लघु फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था.
आरएसएस से संबद्ध संगठन स्वदेशी जागरण मंच (Swadeshi Jagran Manch) और भारतीय कृषक समाज (Bhartiya Krishak Samaj) जैसे किसान संगठन भी स्वदेशी उद्योगों का समर्थन करते रहे हैं. संगठनों ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को पेश किए जाने पर उसमें आवश्यक बदलाव की भी मांग की थी.
स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक डॉ अश्विनी महाजन और भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्ण बीर चौधरी, जो मुख्य अतिथि के रूप में बैठक में उपस्थित थे, ने भी इस बात का समर्थन किया कि सरकार को घरेलू कृषि रसायन उद्योग के लिए परेशानी मुक्त नीतियों का समर्थन करना चाहिए.