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पंजाब कांग्रेस घमासान : कैप्टन से पीछे रह गए सिद्धू ?

पंजाब कांग्रेस में मतभेद के बीच सीएम अमरिंदर सिंह ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ कैप्टन की बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पंजाब में जमीनी कार्य शुरू हो गया है. वहीं कैप्टन पर हमलावर सिंद्धू के भाग्य का फैसला भी अगले सप्ताह तक होने की संभावना है. पढ़िए, ईटीवी भारत की संवाददाता नियमिका सिंह की रिपोर्ट...

पंजाब कांग्रेस घमासान
पंजाब कांग्रेस घमासान

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Published : Jul 9, 2021, 3:46 AM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस की पंजाब इकाई में संगठनात्मक सुधार अब भी लटका हुआ है, जबकि पार्टी आलाकमान की राज्य के नेताओं के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं. पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू जहां लगातार बयानबाजी कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2022 के विधानसभा चुनाव (2022 Punjab Assembly Elections) की तैयारियां शुरू कर दी हैं.

इसी हफ्ते, कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली के दो दिवसीय के दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने पंजाब कांग्रेस में मतभेद को खत्म करने के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.

सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद पंजाब सीएम अमरिंदर ने स्पष्ट किया कि पंजाब कांग्रेस के पुनर्गठन के संबंध में पार्टी आलाकमान जो भी फैसला लेगा, उन्हें स्वीकार होगा. हालांकि, बुधवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बैठक कर कैप्टन अमरिंदर ने नई चाल चल दी है. प्रशांत किशोर को इसी साल मार्च में सीएम अमरिंदर का प्रधान सलाहकार नियुक्त किया गया था.

कैप्टन अमरिंदर और प्रशांत किशोर की बैठक की पुष्टि करते हुए सीएम के एक करीबी सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि कैप्टन ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. वह राज्य के सांसदों, विधायकों और अन्य वरिष्ठ नेताओं के विचार और राय भी ले रहे हैं.

ऐसी भी चर्चा है कि प्रशांत किशोर ने भी पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले जमीनी कार्य और सर्वेक्षण कराने की कवायद शुरू कर दी है.

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पश्चिम बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद हुई है, जिसके बाद प्रशांत किशोर ने चुनाव प्रबंधन का कार्य छोड़ने की बात कही थी. वहीं, कांग्रेस के कई नेता इस बात को लेकर प्रशांत किशोर के खिलाफ हैं कि उनके पार्टी से अलग हुए नेताओं शरद पवार, ममता बनर्जी और जगन मोहन रेड्डी से अच्छे संबंध हैं.

कैप्टन के लिए चुनौती
बहरहाल, कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस समय उनकी अपनी पार्टी के नेता नवजोत सिंह सिद्धू हैं, जो पंजाब सरकार पर तीखे हमले करते रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए पंजाब कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'इस तरह की टिप्पणियां पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराती हैं. जब इस पूरे मामले को पार्टी आलाकमान देख रहा है तो नवजोत सिंह सिद्धू को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए. मुझे लगता है कि अगले 2-3 दिनों के भीतर, सब कुछ सुलझा लिया जाएगा और सभी के मुंह बंद हो जाएंगे.

सिद्धू को शीर्ष पद देने के खिलाफ कैप्टन
सूत्रों के अनुसार, सोनिया गांधी से मुलाकात के दौरान कैप्टन अमरिंदर ने सिद्धू को राज्य इकाई में शीर्ष स्थान देने को लेकर एक बार फिर कड़ा विरोध जताया है. उनका कहना है कि इस कदम का आगामी विधानसभा चुनाव में गंभीर प्रभाव पड़ेगा.

सिद्धू जहां पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का पद हासिल करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं पार्टी उन्हें प्रचार समिति का अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री का पद देकर उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है.

यह भी पढ़ें- सोनिया गांधी से मिले कैप्टन अमरिंदर, कहा- आलाकमान का फैसला होगा मंजूर

हालांकि, उन्होंने पार्टी आलाकमान के सामने स्पष्ट कर दिया है कि वह कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में काम करने को तैयार नहीं हैं. सिद्धू ने अपनी मांगों पर जोर देने के लिए पिछले हफ्ते राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की थी.

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