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राफेल विमान के आने से वायुसेना की ताकत में होगा इजाफा : रक्षा विशेषज्ञ

भारत को फ्रांस से पहला राफेल विमान मिल गया है. राफेल 4.5वीं पीढ़ी का विमान है, जिसमें राडार से बच निकलने की युक्ति है. इससे भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में आमूलचूल बदलाव होगा क्योंकि वायुसेना के पास अब तक के विमान मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई या तो तीसरी पीढ़ी या चौथी पीढ़ी के विमान हैं.

पीके सहगल

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Published : Oct 10, 2019, 12:02 AM IST

नई दिल्ली : रक्षामंत्री राजनाथ सिह ने फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल विमानों में से प्रथम विमान को औपचारिक रूप से प्राप्त कर लिया. लड़ाकू विमान राफेल हासिल करने के बाद भारतीय वायुसेना की तरफ से कहा गया था कि राफेल विमान एक 'गेम चेंजर' है और भारत दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय भू राजनीति में ताकतवर बनकर उभरेगा.

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में रक्षा विशेषज्ञ रिटा. मेजर जनरल पी.के. सहगल ने राफेल विमान की तकनीकी खूबियां बताईं. उन्होंने बताया कि इससे विमानों की उड़ान क्षमता में सुधार होगा. इसके साथ ही विमान में लगा इजरायली हेड अप डिस्प्ले एक नए प्रकार का ग्लास कॉकपिट है, जिस पर पायलट युद्ध क्षेत्र की तस्वीर देख सकता है.

पीके सहगल से बातचीत

सहगल ने बताया कि विमान में सीमा की पहचान करने और हमला करने की क्षमता है. साथ ही विमान में लगे विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक सूट के कारण यह आसानी से दुश्मन के रडार में नहीं दिखता है.

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राफेल में हवा से हवा में लंबी दूरी कर मार करने वाली METEOR मिसाइल भी लगी है.

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भारत ने फ्रांस और दसॉल्ट के साथ 36 राफेल विमान के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता किया है. इन विमानों की कीमत 59,000 करोड़ रुपये है. प्रथम चार विमानों की खेप मई, 2020 तक भारत आ जाएगी.

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