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चीन से सोना, ड्रग्स व घातक हथियार पुराने 'AK-47 मार्ग' से पहुंच रहे भारत

देश में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस महामारी के संक्रमण की वजह से देश में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई. इसकी वजह से इंसानी जीवन का हर पहलू प्रभावित हुआ. लेकिन इस संकट के समय चीन से सोना, हथियारों और घातक ड्रग्स की तस्करी रुकी नहीं है. चीन से तस्करी पुराने AK-47 मार्ग से होती है और मिजोरम और मणिपुर तक पहुंची है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

चीनी से तस्करी
चीनी से तस्करी

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Published : Sep 20, 2020, 6:11 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 7:32 PM IST

हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के फैलाव की वजह से इस वर्ष 24 मार्च से देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की गई. इस वजह से देश का पहिया भले ही पटरियों पर थम गया लेकिन म्यांमार से चीन के सोना या सूखी सुपारी की तस्करी और घातक ड्रग्स एवं अफीम युक्त नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी कुछ चीजें कभी नहीं रुकीं.

पिछले ही हफ्ते एक व्यापारी ने खुद को अर्धसैनिक बल का पूर्व जवान बताते हुए असम राइफल्स के महानिदेशक को प्रभावित करने की कोशिश की ताकि मिजोरम की सीमा चौकियों से होकर ट्रकों को गुजरने की इजाजत दे दें. घटना के जानकार एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा वीडियो कॉल पर डीजी के साथ बातचीत के बाद घबराहट की वजह से उस व्यक्ति ने सोने के गहनों का पैकेट छोड़ दिया जिसकी सूचना एजेंसियों को तुरंत दे दी गई.

असम राइफल्स की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ मिजोरम में सुपारी, हेरोइन, प्रतिबंधित टैबलेट आदि सहित तस्करी की जब्त की गई वस्तुओं की कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक है. मार्च 2020 से या लॉकडाउन के समय से अब तक म्यांमार के 39 नागरिकों और 96 खुदरा ड्रग्स बेचने वालों को पकड़ा गया है. असम राइफल्स ने पिछले दो वर्षों में सिर्फ म्यांमार-मिजोरम सीमा से आठ सौ किलो से अधिक सोना जब्त किया है. आमतौर पर माना जाता है तस्करी का केवल पांच से दस प्रतिशत सोना ही जब्त किया जाता है तो सिर्फ मिजोरम में सोने की तस्करी का रैकेट चार से आठ हजार किलो के बीच होगा.

असम की 250 साल पुरानी विरासत को बनाए रखने के लिए असम राइफल्स भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा के लिए समर्पित है. कुछ साल पहले तक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम की सीमा से लगे भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित झिरझिरे जंगल पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई सशस्त्र विद्रोहियों की मांग के अनुसार एके-47 और एम-16 जैसे घातक हथियारों की तस्करी का पसंदीदा मार्ग था.

अब ऐसा नहीं है. म्यांमार के गुप्त कारखानों में बने ड्रग्स के अलावा चीन की खदानों से निकले उच्च गुणवत्ता वाला सोना और म्यांमार से सूखी सुपारी पूर्वोत्तर क्षेत्र में आता है. जिसे बाद में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे भारत के प्रमुख शहरों में ले जाया जाता है, जहां इनकी मांग बहुत ज्यादा है. इसलिए मुनाफा बहुत अधिक है.

नाम न छापने की शर्त पर सुरक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा कि पूर्वोत्तर में अवैध हथियारों की मांग कम हो गई है क्योंकि उग्रवादी आंदोलनों की गतिविधियां बहुत कमजोर पड़ गई हैं और उनका महत्व भी कम हो गया है. हथियारों की तस्करी जो भी थोड़ी-बहुत हो रही है. वह उत्तर में अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड की ओर स्थानांतरित हो गई हैं, जबकि प्रतिबंधित चीनी सोना की तस्करी का मणिपुर और मिजोरम सीमा पर विशेष रूप से मोरे (चंदेल, मणिपुर) और जोखावतार (चम्फाई, मिजोरम) के माध्यम से वर्चस्व में है. ड्रग्स के अलावा तस्करों ने अपना ध्यान सोने और सुपारी पर लगा रखा है, जो लाभ की दृष्टि से अब अधिक आकर्षक हैं.

दुनिया के कुल उत्पादन का करीब 11 फीसद हिस्सेदारी के साथ चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है, जबकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना खरीदने वाला देश है, जिसकी सोने की मांग आपूर्ति से बहुत ज्यादा है. चीन के सोने का एक मुख्य खनन बेल्ट युन्नान प्रांत में है जो म्यांमार की सीमा से लगा है और भारतीय सीमाओं से भी बहुत दूर नहीं है. तस्करों के लिए मिजोरम सबसे अच्छा क्षेत्र है क्योंकि यह पूरब में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के साथ लंबी झरझरा सीमाओं को साझा करता है.

पूर्वोत्तर में चीनी सोने की तस्करी को बढ़ावा मिलने की वजह म्यांमार में इसकी आसानी से उपलब्धता है, जहां यह भारत की तुलना में बहुत सस्ता है. भारत में कानूनी तरीके से सोना लाने पर दस प्रतिशत सीमा शुल्क और तीन प्रतिशत जीएसटी लगता है.

सूखी सुपारी
स्थानीय उत्पादन को बचाने के लिए सुपारी के आयात पर करों के साथ 300 प्रतिशत शुल्क है. इस तरह इसका आयात करना असंभव सा है. मिजोरम में सुपारी की तस्करी का बहुराष्ट्रीय नेटवर्क सक्रिय है. अधिकारी ने कहा कि मिजोरम के रास्ते से सुपारी की तस्करी का सालाना कारोबार 35 करोड़ रुपये का है.

ड्रग्स
अधिकारी के अनुसार, मिजोरम में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण 1984 से हर साल औसतन 44 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. मुख्य ड्रग्स में से एक 'याबा' टैबलेट है, जो म्यांमार के वा राज्य में बनता है. अधिकारी ने कहा कि सिर्फ वर्ष 2019 में 54 लोगों की जान गई है. ड्रग्स ने राज्य के युवाओं को खोखला कर दिया है या तो सीधे उपभोग के माध्यम से या अप्रत्यक्ष रूप से चोरी, डकैती और अपराधों के माध्यम से ऐसा हुआ है. 2019 में ड्रग्स से जुड़े आरोपों में कुल 3 हजार 254 लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

खुडेंगथाबी चौकी (टेंगनोपाल, मणिपुर)
सिर्फ एक अनुमान के लिए, संवेदनशील म्यांमार सीमा के पास असम राइफल्स की ओर से मोरेह से इम्फाल तक की सड़क पर 40 किमी के दायरे में स्थित खुडेंगथाबी चौकी है. इस चौकी के नाम अवैध व्यापार और बरामदगी की सबसे अधिक संख्या का रिकॉर्ड है जो भारत में कहीं भी किसी भी राज्य या केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसी से ज्यादा है.

लगातार तस्करी की पृष्ठभूमि को देखते हुए राजमार्ग को सुरक्षित रखने के लिए रोज करीब 300 वाहनों और 2,000 यात्रियों की जांच की जाती है. अधिकारी ने कहा कि 2019 में 125 घटनाएं हुईं, जिनमें असम राइफल्स ने 500 करोड़ रुपये के प्रतिबंधित और सामरिक सामान जब्त किए.

Last Updated : Sep 20, 2020, 7:32 PM IST

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