हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के फैलाव की वजह से इस वर्ष 24 मार्च से देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की गई. इस वजह से देश का पहिया भले ही पटरियों पर थम गया लेकिन म्यांमार से चीन के सोना या सूखी सुपारी की तस्करी और घातक ड्रग्स एवं अफीम युक्त नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी कुछ चीजें कभी नहीं रुकीं.
पिछले ही हफ्ते एक व्यापारी ने खुद को अर्धसैनिक बल का पूर्व जवान बताते हुए असम राइफल्स के महानिदेशक को प्रभावित करने की कोशिश की ताकि मिजोरम की सीमा चौकियों से होकर ट्रकों को गुजरने की इजाजत दे दें. घटना के जानकार एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा वीडियो कॉल पर डीजी के साथ बातचीत के बाद घबराहट की वजह से उस व्यक्ति ने सोने के गहनों का पैकेट छोड़ दिया जिसकी सूचना एजेंसियों को तुरंत दे दी गई.
असम राइफल्स की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ मिजोरम में सुपारी, हेरोइन, प्रतिबंधित टैबलेट आदि सहित तस्करी की जब्त की गई वस्तुओं की कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक है. मार्च 2020 से या लॉकडाउन के समय से अब तक म्यांमार के 39 नागरिकों और 96 खुदरा ड्रग्स बेचने वालों को पकड़ा गया है. असम राइफल्स ने पिछले दो वर्षों में सिर्फ म्यांमार-मिजोरम सीमा से आठ सौ किलो से अधिक सोना जब्त किया है. आमतौर पर माना जाता है तस्करी का केवल पांच से दस प्रतिशत सोना ही जब्त किया जाता है तो सिर्फ मिजोरम में सोने की तस्करी का रैकेट चार से आठ हजार किलो के बीच होगा.
असम की 250 साल पुरानी विरासत को बनाए रखने के लिए असम राइफल्स भारत-म्यांमार सीमा की रक्षा के लिए समर्पित है. कुछ साल पहले तक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम की सीमा से लगे भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित झिरझिरे जंगल पूर्वोत्तर क्षेत्र के कई सशस्त्र विद्रोहियों की मांग के अनुसार एके-47 और एम-16 जैसे घातक हथियारों की तस्करी का पसंदीदा मार्ग था.
अब ऐसा नहीं है. म्यांमार के गुप्त कारखानों में बने ड्रग्स के अलावा चीन की खदानों से निकले उच्च गुणवत्ता वाला सोना और म्यांमार से सूखी सुपारी पूर्वोत्तर क्षेत्र में आता है. जिसे बाद में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे भारत के प्रमुख शहरों में ले जाया जाता है, जहां इनकी मांग बहुत ज्यादा है. इसलिए मुनाफा बहुत अधिक है.
नाम न छापने की शर्त पर सुरक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत से कहा कि पूर्वोत्तर में अवैध हथियारों की मांग कम हो गई है क्योंकि उग्रवादी आंदोलनों की गतिविधियां बहुत कमजोर पड़ गई हैं और उनका महत्व भी कम हो गया है. हथियारों की तस्करी जो भी थोड़ी-बहुत हो रही है. वह उत्तर में अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड की ओर स्थानांतरित हो गई हैं, जबकि प्रतिबंधित चीनी सोना की तस्करी का मणिपुर और मिजोरम सीमा पर विशेष रूप से मोरे (चंदेल, मणिपुर) और जोखावतार (चम्फाई, मिजोरम) के माध्यम से वर्चस्व में है. ड्रग्स के अलावा तस्करों ने अपना ध्यान सोने और सुपारी पर लगा रखा है, जो लाभ की दृष्टि से अब अधिक आकर्षक हैं.