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शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, लाखों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन - bardrinath temple door closed

बदरीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इसके साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर अपने संदेश में लोक मंगल की कामना की.

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बदरीनाथ धाम

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Published : Nov 19, 2020, 5:22 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 10:01 PM IST

चमोली : उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए और इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया.

बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. कई श्रद्धालु इस पल के साक्षी बने और साथ ही उन्होंने भगवान से सुख-सुमृद्धि की कामना की. भगवान नारायण को घृत कम्बल और घी से लेप किया गया.

शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट

वहीं, इस मौके पर सेना के बैंड और भगवान बदरीनाथ के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. वहीं, कपाट बंद होने के बाद किसी भी व्यक्ति को बगैर सरकारी अनुमति के हनुमान चट्टी से आगे जाने पर मनाही होगी.

देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि तय मुहूर्त के अनुसार कार्तिक शुक्ल की पंचमी को उत्तराषाढा नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त में अपराह्न 03:35 बजे बद्रीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से बंद कर दिए गए. मंदिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने कपाट बंदी की प्रक्रिया को संपन्न किया. बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान उद्धव और कुबेर जी की उत्सव डोलियां पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुईं.

मान्यता है कि भगवान बदरी विशाल की छह माह नर और छह माह नारदजी पूजा करते हैं. कपाट बंद होने के बाद बदरीनाथ में पूजा का प्रभार नारद मुनि के पास रहता है.

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पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि पुराने समय में भगवान विष्णु ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी. उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी. लक्ष्मीजी के इस समर्पण से भगवान प्रसन्न हुए. विष्णुजी ने इस जगह को बदरीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था.

बदरीनाथ धाम में विष्णुजी की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. विष्णुजी की मूर्ति ध्यान मग्न मुद्रा में है. यहां कुबेर, लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां भी हैं. इसे धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है. बदरीनाथ मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप.

चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम के बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो गया है. गढ़वाल हिमालय के चारधामों में से अन्य तीन- रूद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके हैं.

सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चार धामों के कपाटों को हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है, जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोल दिए जाते हैं.

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने बताया कि इस वर्ष कुल तीन लाख दस हजार यात्रियों ने चारधामों के दर्शन किए, जिनमें से एक लाख पैंतालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ पहुंचे.

उन्होंने बताया कि 1,34,981 तीर्थयात्री केदारनाथ, 23,837 श्रद्धालु गंगोत्री धाम एवं 7,731 श्रद्धालु यमुनोत्री धाम के दर्शन करने पहुंचे.

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण इस साल यात्रा देर से जुलाई में शुरू हुई थी.

Last Updated : Nov 19, 2020, 10:01 PM IST

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