हैदराबाद : एमनेस्टी इंटरनेशनल उन 70 लाख से ज्यादा लोगों का एक वैश्विक आंदोलन हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से अन्याय सहा है. यह ऐसी दुनिया के लिए अभियान चला रहे हैं, जहां सभी के पास मानव अधिकार हैं. मानव अधिकार मतलब कि हम किसी भी राजनीतिक पार्टी, विचार, आर्थिक लाभ और धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल के नाम पर पिछले कई सालों से हर साल 28 मई को एमनेस्टी अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल का मानना है कि कोई भी सरकार जांच से परे नहीं है. कोई भी परिस्थिति उम्मीद से परे नहीं हैं. मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए ज्यादातर देशों ने मृत्यूदंड को खत्म कर दिया है.
क्या है पूरी कहानी
1961 : मानव अधिकारों के लिए एक ग्लोबल आंदोलन शुरू हुआ. दो पुर्तगाली छात्रों को आजादी के लिए आवाज उठाने के चलते जेल हो गई. जिसके बाद वकील पीटर बेनेन्सन ने ऑब्जर्वर अखबार में 'अपील फॉर एमनेस्टी' लांच किया.
1963: अंतरात्मा की आवाज उठाने वाला पहला कैदी यूक्रेनी आर्कबिशप जोसेफ स्लिपी (Ukrainian Archbishop Josyf Slipyi) को साइबेरिया में रिहा कर दिया गया. इसने दशकों चलाए जा रहे उस अथक अभियान को चिंगारी दी, जो की अपने विश्वासों के लिए सताए गए लोगों की ओर से चलाया जा रहा था.
1972 : एमनेस्टी ने अत्याचार के खिलाफ अपना पहला कैंपेनलांच किया. 12 साल बाद, संयुक्त राष्ट्र ने 1984 में दुनिया भर में हो रहे अत्याचार से लड़ने के लिए एक सम्मेलन कर वोट दिया.
1977 : एमनेस्टी को 'स्वतंत्रता के लिए, न्याय के लिए, और दुनिया में शांति बनाए रखने में अपना योगदान देने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह दुनिया भर में एमनेस्टी समर्थकों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के लिए जाना जाता है.
1980 : एमनेस्टी ने मृत्युदंड के लिए अपना पहला कैंपन शुरू किया. 1961 में जब अभियान शुरू किया था, तब केवल 9 देशों ने मृत्युदंड खत्म किया था. 2014 तक यह संख्या 140 तक पहुंच गई थी.
1993 : एमनेस्टी अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के लिए अभियान चलाता है. जिससे नरसंहार और युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके. ICC की स्थापना 2002 में हुई थी.