गया:छोटी सी उम्र में योग (Yoga)के हैरतअंगेज करतब दिखाने वाले रुद्र प्रताप सिंह (Rudra Pratap Singh) की ख्याति 'ज्ञान की धरती' से निकलकर राष्ट्रीय फलक तक पहुंच गई है. महज 8 साल के रुद्र को योग के 200 से अधिक आसनों में महारत हासिल है. उसने कई राष्ट्रीय मेडल भी जीते हैं.
रुद्र प्रताप सिंह की उम्र तो वैसे महज आठ वर्ष है, लेकिन अपनी मेहनत और जुनून की बदौलत वह बड़े-बड़ों को पस्त करने की क्षमता रखता है. योग के सबसे मुश्किल आसन को यूं ही चुटकियों में आसान कर देता है.
पिता की निगरानी में निखरी प्रतिभा
खास बात ये भी है कि रुद्र को कोई प्रोफेशनल तरीके से कोचिंग नहीं मिली है. उसके पिता ही उसे योग सिखाते हैं. रुद्र ने बताया कि मेरे पहले गुरु पुरुषोत्तम कुमार हैं, लेकिन स्केटिंग खेल की वजह से टाइम नहीं मिला तो मेरे पापा ही मेरे कोच बन गए.
नेशनल स्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार
रुद्र के मुताबिक वह जब स्केटिंग के लिए नेशनल स्तर की प्रतियोगिता में गया था तो जल्दी थक जाता था. तब पापा ने योगा सिखाना शुरू किया. इसका नतीजा सामने है. वह न केवल राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल हो चुका है, बल्कि कई पुरस्कार भी जीते हैं.
तीनों प्रकार के योग में निपुण
योग के तीन प्रकार होते हैं, विग्नर योगा, एडवांस योगा, काउंटर योगा. रुद्र इन तीनों तरह के आसनों को आसानी से कर लेता है. साथ ही तीनों योग के 200 से अधिक आसन में भी पारंगत हो चुका है.
200 योग आसन करता है आठ साल का रुद्र ओलंपिक में गोल्ड मेडलजीतना है लक्ष्य
रुद्र वैसे तो तमाम तरह की प्रतियोगिता में शिरकत करता है और पुरस्कार भी जीतता है लेकिन वह कहता है कि उसका एकमात्र सपना देश के लिए ओलंपिक खेलना और गोल्ड मेडल जीतना है.
'बेहद पसंद हैं बाबा रामदेव'
रुद्र को योग गुरु बाबा रामदेव बेहद पसंद हैं. वह कहता है कि बाबा का योग के प्रति लगाव और सिखाने का तरीका उसे बहुत अच्छा लगता है. बाबा जिस तरीके से हंसी-मजाक करते हुए योग सिखाते हैं, उससे मुश्किल योग भी आसान लगने लगता है.
छोटी उम्र से तैयारी शुरू
रुद्र के पिता राकेश कुमार बताते हैं कि बेटा जब पांच साल का था, तब से स्केटिंग कर रहा है. पिछले दो साल से वह योगा कर रहा है. मैं रुद्र का पिता होने के साथ-साथ उसका कोच भी हूं. लॉकडाउन के दौरान मुझे इसे प्रशिक्षण देने का पूरा मौका मिला है.
सुबह-शाम दो घंटे की प्रैक्टिस
राकेश कुमार कहते हैं कि रुद्र हर दिन सुबह-शाम दो घंटे प्रैक्टिस करता है. इसकी मां और मैं इसके खानपान से लेकर दर्द तक का ख्याल रखते हैं. आपको बता दें कि रुद्र के पिता एक निजी स्कूल में आर्ट टीचर हैं.
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सरकार से सहायता की उम्मीद
राकेश कुमार के मुताबिक उनकी तरफ से रुद्र को योग और स्केटिंग में नेशनल स्तर तक ले जाने की हर मुमकिन कोशिश हो रही है. लेकिन अगर सरकार की ओर से कोई संसाधन विकसित कर दिया जाएं और रुद्र को सरकारी मदद मिल जाए तो वह एक दिन जरूर भारत का नाम रोशन करेगा. ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का उसका सपना भी पूरा हो सकेगा.