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पहाड़ पर रेल का सपना जल्द होगा पूरा, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का 62 प्रतिशत काम हुआ Complete

Rishikesh Karnprayag Rail Project ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का 62 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है. परियोजना के तहत टनल में बोरिंग मशीन से कार्य किया जा रहा है. सुरंग को पूरी तरह से वाटरप्रूफ बनाया जा रहा है. आरवीएनएल के अधिकारी का कहना है कि परियोजना का कार्य 2025 तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.

Rishikesh Karnprayag Rail Project
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 8:28 PM IST

Updated : Oct 10, 2023, 9:13 PM IST

देहरादूनःउत्तराखंड में इस समय प्रदेश की सबसे बड़ी रेल परियोजना ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य जारी है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल मार्ग का जिक्र कभी कागजों में हुआ करता था, जो अब हकीकत में बनकर तैयार हो रहा है. इस परियोजना के पूरा होते ही उत्तराखंड के पहाड़ों में विकास की 'ट्रेन' भी गति पकड़ेगी.

रेलमार्ग परियोजना के महत्वपूर्ण 10 दिन: साल 2019 से जारी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के कार्यों में सबसे अहम पहाड़ों के अंदर से गुजरने वाली टनल का कार्य है. इन टनल में से एक 8 अक्टूबर 2023 को रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और कार्यदायी संस्था नवयुगा इंजीनियरिंग ने कीर्तिनगर से लक्ष्मोली के बीच तीन किलोमीटर की टनल को भी सफलतापूर्वक एक सिरे से दूसरे सिरे तक मिला दिया है. इसी महीने 2 अक्टूबर को भी श्रीकोट से स्वीत तक का टनल का कार्य भी पूरा किया गया. लिहाजा 10 दिन के भीतर आरवीएनएल और कार्यदायी संस्था ने दो महत्वपूर्ण सुरंग का ब्रेकथ्रू किया.

पूरे प्रोजेक्ट के तहत 17 सुरंग, 12 स्टेशन और 35 पुलों का निर्माण किया जा रहा है.

6 सुरंग की खुदाई का काम पूरा: अभी श्रीनगर में ही लगभग 6 किलोमीटर सुरंग की खुदाई का काम भी पूरा कर लिया गया है. जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आरवीएनएल सार्वजनिक करेगा. रेल मार्ग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो यह काम इतनी तेजी से चल रहा है कि हर 15 से 20 दिन बाद बेहद अत्याधुनिक तरीके से सुरंग का काम कंप्लीट किया जा रहा है. परियोजना के तहत एक सुरंग से दूसरी सुरंग को लगातार जोड़ा जा रहा है.
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परियोजना की खासियत: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग के 125 किमी में से 105 किमी का मार्ग पहाड़ी क्षेत्र में सुरंग के अंतर्गत है. अब तक भारत में इतनी लंबी सुरंग रेल मार्ग कहीं भी तैयार नहीं की गई है. ऐसे में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक का 80 फीसदी से ज्यादा का सफर टनल के अंदर से ही होकर गुजरेगा. पूरे प्रोजेक्ट के तहत 17 सुरंग, 12 स्टेशन और 35 पुलों का निर्माण किया जा रहा है. रेलवे अधिकारियों की मानें तो रोजाना लगभग 100 किलोमीटर के दायरे में खुदाई और टनल का काम किया जा रहा है. यह परियोजना लगभग 125 किलोमीटर की होगी.

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का 62 फीसदी काम पूरा हो चुका है.

दो से ढाई घंटे का सफर:परियोजना की खास बात भी है कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 80 एंट्री प्वाइंट दिए जाएंगे. ताकि यात्रियों और स्थानीय निवासियों को किसी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. इतना ही नहीं, आपातकाल की स्थिति में भी इन गेट का प्रयोग किया जा सकेगा. बताया जा रहा है कि अब तक 40 से ज्यादा एंट्री प्वाइंट का निर्माण पूरा कर लिया गया है. अभी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक जाने के लिए सड़क मार्ग से लगभग 7 घंटे का वक्त लगता है. लेकिन इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद मात्र दो से ढाई घंटे में ये सफर सिमट जाएगा.

2025 तक परियोजना पूरी होने की आशंका: रेल विकास निगम परियोजना के प्रबंधक के. ओमप्रकाश मालगुडी का कहना है कि हम इस परियोजना के तहत टनल में बोरिंग मशीन से कार्य कर रहे हैं. आपदा, भूकंप और बाढ़ जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी हमने आईआईटी रुड़की और अन्य बड़े संस्थानों के वैज्ञानिकों से हर तरह की जांच करवाने के बाद ही परियोजना का काम शुरू किया है. परियोजना में बनने वाली टनल का डिजाइन भी भूस्खलन के लिहाज से पोरल स्टेबलाइजेशन के तहत किया गया है. सुरंग को पूरी तरह से वाटरप्रूफ बनाया जा रहा है.
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62 फीसदी काम पूरा: हमारी कोशिश यही है कि साल 2025 तक इस ट्रैक पर रेलगाड़ी को हम दौड़ा सके. केंद्र और राज्य सरकार इस परियोजना में बेहद दिलचस्पी ले रही है. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है कि हम समय से इसका कार्य पूरा करें. आप ये मान लीजिए की हमने 62 फीसदी काम पूरा कर लिया है. शेष काम तेज गति से चल रहा है.

परियोजना में 105 किमी का मार्ग सुरंगों के भीतर तय होगा.

परियोजना का मुख्य उदेश्य: इस परियोजना में 16,200 करोड़ रुपए का अनुमानित खर्च का आकलन लगाया गया था. लेकिन यह खर्च और भी बढ़ सकता है. रेल मार्ग के पूरा होने से चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी फायदा होगा. परियोजना के पूरा होने के बाद दो से ढाई घंटे में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक का सफर तय हो सकेगा. इसके बाद बदरीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सड़क मार्ग से लगने वाला समय वर्तमान के मुकाबले काफी कम हो जाएगा.

भारतीय सेना को भी मिलेगी सुविधा: केंद्र सरकार की इस योजना को बनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य यही था कि गंगोत्री-यमुनोत्री और केदारनाथ के साथ-साथ बदरीनाथ धाम की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जा सके. इसके साथ ही नए पर्यटन स्थल विकसित करने के साथ-साथ व्यापार का रास्ता भी आसान हो सके. मौजूदा समय में भारतीय सेना को भारत-चीन सीमा तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में रेल मार्ग के चार धामों तक पहुंचाने के बाद सेना को भी काफी हद तक फायदा मिलेगा.
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आपको ये जानकार हैरानी होगी कि आज भी उत्तराखंड के पहाड़ों में रहने वाले 25 फीसदी ऐसे लोग हैं जिन्होंने रेल का सफर तक नहीं किया है. ऐसे में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना से ना केवल व्यापारिक मार्ग खुलेगा बल्कि उत्तराखंड के इतिहास में एक नया अध्याय भी जुड़ेगा.

Last Updated : Oct 10, 2023, 9:13 PM IST

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