नई दिल्ली : दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री (Ex-CM of Delhi) शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) की आज दूसरी पुण्यतिथि है. 20 जुलाई 2019 को 81 वर्ष की उम्र में शीला दीक्षित का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. प्रभावशाली, विनम्र और हमेशा मुस्कुराते रहने वाली शीला दीक्षित का व्यक्तित्व अन्य राजनेताओं की तुलना में हटकर था.
कई नेता मंत्रियों ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
शीला दीक्षित की पुण्यतिथि के मौके पर दिल्ली कांग्रेस (Delhi Congress) ने ट्विटर (Twitter) पर एक वीडियो अपलोड किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है. इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. अनिल चौधरी ने लिखा - आधुनिक दिल्ली की शिल्पकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित की पुण्यतिथि पर शत शत व भावभीनी श्रद्धांजलि.
शीला दीक्षित को ट्विटर के जरिये श्रद्धांजलि वहीं, इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi CM) अरविंद केजरिवाल (Arvind Kejriwal) ने भी ट्वीट कर शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि दी. सीएम ने ट्वीट कर लिखा- दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन.
शीला दीक्षित को ट्विटर के जरिये श्रद्धांजलि वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी ट्वीट कर शीला दीक्षित को याद किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- मैं अभी भी मार्गदर्शन की तलाश में आपके साथ अपनी दुविधाओं पर चर्चा करता रहता हूं. मैं अब भी आपकी आवाज सुन सकता हूं. मुझे अभी भी मेरे जवाब मिलते हैं. वे इसे आंतरिक आवाज कहते हैं. आपकी याद आ रही है. उन्होंने अपनी ट्वीट में शीला दीक्षित का हैशटैग भी इस्तेमाल किया.
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शीला दीक्षित का राजनीतिक जीवन
शीला दीक्षित लगातार 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. शीला दीक्षित ने 1998 से 2013 तक मुख्यमंत्री थीं. शीला दीक्षित देश में सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री चुनी जाने वाली एकमात्र महिला थीं. 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया था. दिल्ली की लाइफ लाइन (Lifeline of Delhi) कही जाने वाली मेट्रो शीला दीक्षित की ही देन है. इसके अलावा उनके कार्यकाल में शहर में फ्लाईओवरों का नेटवर्क तेजी से फैला, जिससे ट्रैफिक से निपटने में काफी मदद मिली. यही नहीं उनके ही नेतृत्व में 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स (Common Wealth Games) का सफल आयोजन किया गया.
बता दें कि, पंजाब में जन्मी शीला दीक्षित एक जिंदादिल लड़की थीं, जिसे कार की सवारी करने का शौक था. लेकिन उनकी किस्मत में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब उनकी शादी एक राजनीतिक परिवार में हो गई. शीला दीक्षित की शादी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता रहे उमाशंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से हुई. शीला दीक्षित में राजनीति के दांव अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित से सीखे. नेहरू-गांधी परिवार से नजदीकियों के चलते इंदिरा गांधी ने शीला दीक्षित को संयुक्त राष्ट्र कमिशन दल का सदस्य बनाया, जहां से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. इसके बाद 1984 में शीला दीक्षित ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद का चुनाव जीता, जिसेक बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को अपनी कर्मभूमि के रूप में अपनाया. अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान शीला दीक्षित ने दिल्ली का चेहरा पूरी तरह से बदलकर रख दिया. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी स्तर पर काम कराए. इन्हीं कामों का नतीजा है कि उनके राजनीतिक विरोधी भी इस बात से नकार नहीं सकते कि दिल्ली में परिवर्तन उनकी देन है.