बेतिया:बरसात का मौसम आते ही जिले के लोग संकटों से जूझने लगते हैं. सरकार पुल-पुलिया निर्माण की बात खूब करती है. लेकिन मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नवलपुर का पिपरिया और खलवा टोला है. जहां के लोग एक पुल के लिए तरस रहे हैं.
जान जोखिम में डालकर लोग करते हैं नदी पार जान पर खेल कर खेती कर रहे किसान
यहां नदी पार करने के लिए लोगों के पास एक मात्र साधन नाव है. एक तरफ खलवा टोला तो दूसरी तरफ पिपरिया गांव है. यहां के किसान जान जोखिम में डालकर नदी पार कर खेती करने जाते हैं. लेकिन बाढ़ में सब बर्बाद हो जाता है. आलम यह है कि बरसात के दिनों में दोनों गांव के लोग एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं. बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है. जबकि सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को उठानी पड़ती है.
नदी पार कर खेती करने जा रहा किसान जमीन बेच कर नाव बनाई
लोगों को नदी पार करा रहे नाविक ने बताया कि 'पिछले 30 सालों से नाव चला रहे हैं.' आगे बताते हैं, 'जमीन बेच कर नाव बनाई थी.' दिन भर लोगों की सहायता करते हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती है.
अधूरा पड़ा है पुल का निर्माण
दोनों गांव, सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर हैं. पुल आज भी अधूरा पड़ा है. यह पुल दो प्रखंड और 20 गांव को जोड़ती है. नदी पर पुल का एप्रोच पथ आज तक नहीं बन पाया है. ग्रामीणों ने बताया कि पुल बनने के साथ एप्रोच पथ से जुड़ने पर परेशानी दूर हो सकती है. नदी में कई लोग डूबने से बाल-बाल बचे हैं. भारी बरसात में गांव टापू बन जाता है. गांव में कोई रास्ता भी नहीं है. आज भी मरीज को खाट पर लेकर अस्पताल जाना पड़ता है.