पश्चिम चंपारण: जिले के इंडो नेपाल बॉर्डर पर स्थित भिखनाठोरी गांव में आजादी के 73 साल बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इससे आक्रोशित लोगों ने वोट बहिष्कार करने का फैसला किया है. वोट बहिष्कार को लेकर प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि 2017 में इस गांव में रोशनी के लिए सोलर मुहैया कराई गई थी.
पश्चिम चंपारण: मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है ये गांव, लोगों ने वोट बहिष्कार का लिया फैसला - पश्चिमि चंपारण में विधानसभा चुनाव 2020
जिले के भिखनाठोरी गांव में आजादी के 73 साल भी रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाओं से लोगों को जुझना पड़ रहा है. इस गांव में न तो बीजली, पानी, सड़के और न ही रहने के लिए उचित व्यवस्था है. इसके कारण इस गांव के लोगों ने वोट का बहिष्कार करने का फैसला किया है.
2017 में उपलब्ध हो सकी रोशनी
ग्रामीण मोतीलाल पासवान, कृष्णमोहन ठाकुर, मदन साह, कमलेश ठाकुर, सवरुन नेशा, ललिता देवी ने बताया की अथक प्रयास के बाद 2017 में 208 घरों मे रोशनी के लिए सोलर मुहैया कराई गई. इसके साथ ही मेंटेनेंस का भार एलएनटी को सौंप दिया गया, लेकिन एलएनटी के लापरवाही और रखरखाव के अभाव से पूरा गांव अंधेरे के साये में जी रहा है. बिजली के अभाव में बच्चों की पठन-पठान बाधित हो रही है. वहीं अंधेरी रातों में जंगली जानवरो का भय सता रहा हैं. प्रदर्शनकारी ने नारा लगाते हुए कहा के भिखनाठोरी गांव में विकास नहीं तो वोट नहीं. इस गांव में पीने के लिए शुद्ध पेयजल की सामुचित व्यवस्था नहीं है.
सरकार ने दिया था आश्वासन
बाढ़ के कारण 70 फीसदी गांव 2017 में कट कर पंडई नदी में विलीन हो गई है. सरकार ने अश्वासन दिया था कि नदी में विलीन हुए लोगों के घर का मुआवजा दिया जाएगा और इन्हें फिर से कही बसाने के लिए पुरा प्रयास किया जाएंगा. लेकिन इस दिशा में कोई कार्य न होने को लेकर ग्रामीणों ने अनेको बार अधिकारी और प्रतिनिधियो से शिकायत की. इस शिकायत पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि विधानसभा और लोकसभा उप चुनाव में यदि कोई प्रतिनिधि वोट मांगने आता है तो उनका घेराव किया जाएगा.