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सैलानियों से गुलजार रहता था उदयपुर वाइल्डलाइफ शेल्टर, अब बाट जोहने को है मजबूर - बेंत के नाम पर पड़ा बेतिया

पश्चिमी चंपारण जिले का मुख्यालय बेतिया है. जिसका नाम उदयपुर वन्यप्राणी आश्रयणी में पाए जाने वाले बेंत के नाम पर पड़ा था. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जंगल का बेंत उस दौर में कितना प्रसिद्ध हुआ करता था.

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Published : Dec 18, 2019, 7:03 PM IST

बेतिया: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने की इच्छा जताई है. इसके बाद से वीटीआर के अंतर्गत आने वाले वाल्मीकि नगर में चौतरफा विकास हो रहा है. लेकिन, इसी वीटीआर के अंतर्गत आने वाले उदयपुर वन्य प्राणी आश्रयणी आज अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है.

आलम यह है कि कभी विदेशी पक्षियों को देखने की लालसा लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचने वाले सैलानी आज इस शेल्टर होम की तरफ देखते तक नहीं है. सरकारी उदासीनता के कारण यह मनोरम स्थल अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए गुहार लगा रहा है.

उदयपुर वाइल्डलाइफ शेल्टर में पसरा सन्नाटा

ऐसे हुआ था जिले का नामकरण
गौरतलब है कि पश्चिमी चंपारण जिले का मुख्यालय बेतिया है. जिसका नाम उदयपुर वन्यप्राणी आश्रयणी में पाए जाने वाले बेंत के नाम पर पड़ा था. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जंगल का बेंत उस दौर में कितना प्रसिद्ध हुआ करता था. वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के तहत जब बेंत के इस जंगल को लिया गया तो लोगों में उम्मीद जगी कि इस जंगल का उद्धार होगा. लेकिन, जंगल को पर्यटन के रूप में विकसित करने की बात तो दूर अब इस जंगल में बेंत का नामो निशान अब मिटने की कगार पर है.

उदयपुर वाइल्डलाइफ शेल्टर की खूबसूरती

जंगल की खूबसूरती निहारने आते थे सैलानी
हालांकि, उस समय जंगल की खूबसूरती और विदेशी पक्षियों का चहचहाहट सुनने के लिए यहां सैकड़ों की संख्या में आस पास के लोग घूमने आया करते थे. जिस वजह से यह जंगल कभी गुलजार हुआ करता था. लेकिन, विभाग की उदासीनता के कारण यह वीरान पड़ा है.

देखें ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

जानिए स्थानीय लोगों का दर्द
जिला मुख्यालय से इस शेल्टर होम की दूरी महज 7 किलोमीटर है. जबकि वाल्मीकिनगर की दूरी 120 किलोमीटर है. दूरी इतनी कम होने के बाद भी इस पर विभाग की नजर नहीं पड़ रही है. इसके बीचोंबीच सरेयामन झील इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है. इस झील में सालों पहले नौकायान की शुरुआत की गई थी. लेकिन, एक हादसे के कारण विभाग ने सालों पहले इसे बंद कर दिया गया.

हेमकांत राय, वन संरक्षक

अधिकारी कर रहे जल्द शुरुआत की बात
हालांकि, वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के वन संरक्षक सह क्षेत्रीय निदेशक ने जल्द ही इसे पर्यटन के लिहाज से विकसित करने का भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस जंगल को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया जाएगा. साथ ही ठंड के बाद यहां नौकायान की भी सुविधा मुहैया कराई जाएगी.

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