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बगहा: 60 लाख की लागत से बने बाढ़ आश्रय भवन में लटक है ताला, पानी में रहने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित

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Published : Aug 31, 2021, 8:22 AM IST

गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण पश्चिम चम्पारण जिले के कई इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार की ओर से बाढ़ आश्रय भवन बनाया गया है. लेकिन उद्घाटन नहीं होने के चलते उसमें ताला लटका हुआ है.

पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहर
पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहर

पश्चिम चम्पारण(बगहा):पश्चिम चम्पारण ( West Champaran ) जिले में लगातार हो रही बारिश और गंडक नदी ( Gandak River ) का जलस्तर बढ़ने से जिले के पिपरासी और भितहा प्रखंड (Bhitha Block) क्षेत्र सहित कई निचले इलाके बाढ़ ( Flood ) की चपेट में आ गए हैं. पिपरासी प्रखण्ड ( Piprasi Block ) के सेमरा लबेदाहा पंचायत के कई गांवों में प्रतिवर्ष बाढ़ आती है. इसे देखते हुए सरकार ने यहां 60 लाख रुपये की लागत से बाढ़ आश्रय भवन बनवाया लेकिन अबतक इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है.

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साठ लाख रुपये की लागत से बने बाढ़ आश्रय स्थल पर अब भी ताला लटक है क्योंकि अभी तक इसका उद्घाटन नहीं हुआ है. सरकारी उदासीनता के चलते पिपरासी और भितहा के बाढ़ प्रभावित ग्रामीण मुश्किल में हैं. आश्रय स्थल चालू नहीं होने की वजह से सेमरा लबेदाहा पंचायत के सैकड़ों परिवार बांध पर अपने मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं.

बता दें कि इस इलाके के बाढ़ प्रभावित लोग मजबूरन अर्धनिर्मित रेलवे बांध पर शरण लिए हुए हैं. हालांकि यह बांध भी दो वर्ष पूर्व कट गया. जिसके बाद से जब भी गण्डक नदी उफनाती है तो कई गांव जलमग्न हो जाते हैं. लोगों ने कई दफा इस बांध को बनवाने के लिए आंदोलन भी किया ताकि बांध बन जाने के बाद दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आने से बच जाएं, लेकिन सरकार ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया है.

अब जब गण्डक बराज नियंत्रण कक्ष से गण्डक नदी में 3 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है तो इन इलाकों में फिर से बाढ़ आ गई है और लोग बांध पर ही शरण लिए हुए हैं. ऐसे में सिकटा से माले विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने क्षेत्र भ्रमण के बाद मांग की है कि प्रशासन तत्काल इस बाढ़ आश्रय भवन को शुरू करे और पीड़ित परिवारों को इसमे रहने की व्यवस्था कराए.

विधायक ने डीएम से मांग करते हुए कहा है कि बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए आश्रय स्थल में लोगों को शिफ्ट किया जाए और इनके लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की जाए.

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