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नौतन विधानसभा: BJP विधायक से नाराज हैं ग्रामीण, अब तक नहीं मिली सहायता राशि

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Published : Oct 11, 2020, 12:39 PM IST

ग्रामीणों का कहना है कि नौतन विधानसभा क्षेत्र के सिटिंग बीजेपी विधायक नारायण साह ने भी संकट के दिन में उनका हाल-चाल नहीं जाना. लोगों ने बताया कि एक बार फिर से चुनाव का समय आया है, इस वजह से इलके में जनप्रतिनिधियों को आना शुरू हो रहा है. ग्रामीणों ने वर्तमान विधायक पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

नौतन विधानसभा
नौतन विधानसभा

बेतिया: नौतन विधानसभा क्षेत्र के मंगलपुर कला गांव के बाढ़ पीड़ितों को आज तक सहायता राशि नहीं मिल पाई है. सहायता राशि के लिए लाभुक दिनभर प्रखंड कार्यालय से लेकर पंचायत कार्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं. इन सब के बीच जिले के 3 विधानसभा सीटों पर द्वितीय चरण में मतदान भी होगा. ऐसे में ग्रामीणों ने सहायता राशि के मिलने तक मतदान नहीं करने की बात भी कही है.

ग्रामीणों का कहना है कि नौतन विधानसभा क्षेत्र के सिटिंग बीजेपी विधायक नारायण साह ने भी संकट के दिन में उनका हाल-चाल नहीं जाना. लोगों ने बताया कि एक बार फिर से चुनाव का समय आया है, इस वजह से इलके में जनप्रतिनिधियों को आना शुरू हो रहा है. ग्रामीणों ने वर्तमान विधायक पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

इलाके में अभी भी बाढ़ के दंश

दूसरे चरण में होना है मतदान
नौतन विधानसभा क्षेत्र में दूसरे चरण में मतदान होने हैं. सहायता राशि नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार की चेतावनी भी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि मौजूदा बीजेपी विधायक नारायण साह ने बाढ़ के समय से लेकर अब तक हमलोगों का हालचाल जानना तक उचित नहीं समझा है. गांव को दो बार बाढ़ ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था. घर से लेकर रोजगार सब बर्बाद हो गए. बावजूद सरकारी लापरवाही के कारण सहायता राशि नहीं मिल पाई. लोगों को कहना है कि अभी भी इलाके में बाढ़ का दंश देखा जा सकता है. गांव के लोग अभी भी सड़क किनारे रहने को लाचार हैं. बावजूद अभी तक किसी जनप्रतिनिधि ने उनका हाल-चाल नहीं जाना है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

तीन बार जदयू के खाते में रह चुकी है नौतन सीट
नौतन विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है. यह सीट स्वत्रंतता सेनानी और कांग्रेस नेता केदार पांडे के नाम से भी जानी जाती है. केदार पांडे ने 1967 में पहली बार चुनाव जीता और इसके बाद 1980 तक लगातार 4 बार चुनाव जीते. वह 1972 में केदार पांडे लगभग 15 महीने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने. कांग्रेस ने यहां से लगातार 6 बार चुनाव जीता था.

ग्रामीण महिलाएं

1990 के बाद से कांग्रेस से यह सीट कांग्रेस से दूर होती चली गई और इस सीट पर वामपंथी दलों का कब्जा हो गया. इस सीट पर जदयू भी तीन बार जीत का परचम लहरा चुकी है. 2015 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट को जदयू से छीन लिया. हालंकि, इस दौरान राजनीतिक हालात बदले हुए थे. उस दौरान नीतीश कुमार लालू यादव का दामन थाम चुके थे. एक बार फिर से समय के साथ राजनीतिक हालात ने करवट ली है. अब नीतीश कुमार फिर से राजग गठबंधन का हिस्सा हो चुके हो. ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा की इस सीट पर महागठबंधन के प्रत्याशी अपना जलवा बिखेर सकते हैं या नहीं.

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