बगहा: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) दो दिवसीय दौरे पर आज रविवार को बगहा पहुंचे. जहां उन्होंने इंडो नेपाल सीमा वाल्मीकीनगर के पंचायतों के जन प्रतिनिधियों से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि बिहार की समस्याओं को जानने नहीं, बल्कि बिहार को जानने व समझने के लिए गांव का दौरा किया है. ताकि बिहार के सभ्यता व संस्कृति को जमीनी स्तर पर देख व समझ सकें.
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तिलक लगाकर स्वागत:राज्यपाल गंडक नदी किनारे बसे आदिवासी बहुल ठाड़ी गांव का दौरा किया. जहां ग्रामीणों के द्वारा भव्य स्वागत किया गया. आदिवासी बहुल ठाड़ी गांव महिलाओं ने तिलक लगाकर स्वागत किया. वे ग्रामीणों से मुखातिब हुए. उन्होंने सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी ली साथ ही उनके समस्याओं को सुना. इस दौरान पीएम आवास योजना पर उनका विशेष फोकस रहा.
"बिहार की समस्याओं को जानने नहीं, बल्कि बिहार को जानने व समझने के लिए गांव का दौरा किया है. ताकि बिहार के सभ्यता व संस्कृति को जमीनी स्तर पर देख व समझ सकें. इस यात्रा के दौरान वे पंचायत प्रतिनिधियों से मिले और उनसे योजनाओं की जानकारी ली है."-राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल
अधिकारियों को कई दिशा निर्देश दिए:राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर केंद्र सरकार की इस योजना की खूब सराहना की और अधिकारियों को कई दिशा निर्देश दिए. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को भी गिनाये. साथ ही जिन योजनाओं से ग्रामीण लाभान्वित हुए. उस बाबत भी राज्यपाल को जानकारी दी.
राज्यपाल का होगा पहला दौरा: बता दें कि वाल्मीकिनगर में किसी भी राज्यपाल का यह पहला दौरा होगा. हालांकि इसके पूर्व जब वाल्मीकीनगर का नाम भैंसलोटन था तब 28 अप्रैल 1963 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल अनंत स्यानम आयंगार तत्कालीन भैंसलोटन में गंडक बराज का निरीक्षण करने आए थे. इस क्रम में राज्यपाल के साथ भारत और नेपाल के अनेक उच्चाधिकारी भी मौजूद थे. जिनके साथ उन्होंने वाल्मीकि आश्रम का भ्रमण किया था. महर्षि वाल्मीकि के आश्रम का दर्शन करने के बाद राज्यपाल इतना प्रभावित हुए की उन्होंने उसी यात्रा के बाद 20 अगस्त 1963 को घोषण कर दी थी कि 14 जनवरी 1964 से 'भैंसालोटन' का नाम वाल्मीकिनगर कर दिया जाएगा. तब से इंडो नेपाल सीमा पर बसे भैंसलोटन का नाम वाल्मीकिनगर हो गया.