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बेतिया में बाढ़ ने मचाई तबाही, ग्रामीणों ने छोड़ा घरबार, नहीं मिली सरकारी मदद.. देखें VIDEO - Villagers forced to take shelter on embankment

पश्चिम चंपारण में बाढ़ (Flood In Bettiah) ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है. जिले के नौतन प्रखंड के कई गांव बाढ़ की चपेट में है. ग्रामीण घर छोड़कर चंपारण तटबंध पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को अबतक कोई सहायता नहीं दी गई है. पढ़ें पूरी खबर.

बेबस बाढ़ पीड़ित
बेबस बाढ़ पीड़ित

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Published : Oct 9, 2022, 5:03 PM IST

बेतिया:पश्चिमी चंपारण जिले के नौतन प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ की चपेट में है. कई पंचायत के गांव टापू में तब्दील हो गए हैं. जिस कारण वहां के बाढ़ पीड़ित चंपारण तटबंध पर शरण लेने को मजबूर (Flood In Bihar) हैं. नौतन के चंपारण तटबंध पर सैकड़ों की संख्या में बाढ़ पीड़ित शरण लिए हुए हैं और अभी बाढ़ पीड़ित तटबंध पर आ रहें है. बाढ़ पीड़ितों के बीच अब तक कोई भी सरकारी मदद नहीं पहुंची है. ना ही लोगों को प्लास्टिक दिया गया है और ना ही खाने के लिए भोजन. बाढ़ पीड़ित सरकारी राहत के इंतजार में बैठे हुए हैं.

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बाढ़ से ग्रामीण परेशान: गंडक बराज से पानी छोड़े जाने के बाद जिले के निचले इलाके में बाढ़ का पानी घुस गया है. चंपारण तटबंध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ितों के बीच ईटीवी भारत के संवाददाता जितेंद्र कुमार गुप्ता पहुंचे और बाढ़ पीड़ितों की समस्याओं को जाना. नौतन प्रखंड के भगवानपुर पंचायत, मंगलपुर कला पंचायत, शिवराजपुर पंचायत के कई गांव टापू बन गया है. 400 घर और 2 हजार की बड़ी आबादी वाला गांव चारों तरफ से पानी से घिर गया हैं. गंडक नदी ने यहां कोहराम मचा दिया है.

तटबंध पर शरण लेने को ग्रामीण मजबूर:बाढ़ के कारण गांव में आने जाने के लिए नाव ही एक मात्र सहारा है. बाढ़ पीड़ित गांव से बाहर निकलकर चंपारण तटबंध पर शरण लेने के लिए मजबूर हैं. लोग खुद से चंपारण तटबंध पर अपना आशियाना बना रहे हैं. बांस बल्ला बांधकर रहने के लिए घर बना रहे हैं. प्लास्टिक खुद खरीद कर घर बना रहे हैं. बच्चे तम्बू में शरण लिए हुए हैं. जो बाढ़ पीड़ित हैं, वो जगह-जगह से मांग कर अपने बच्चों का पेट पालने को मजबूर हैं. लेकिन अभी तक जिला प्रशासन का इन बाढ़ पीड़ितों पर ध्यान नहीं गया है.

"हमारा घर पूरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया है. घर में रखा सारा अनाज खराब हो गया है. जिस कारण हमें गांव से निकलकर चंपारण तटबंध पर शरण लेना पड़ा. अभी तक जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली. ना प्लास्टिक मिला, ना चूड़ा-मीठा, ना सामुदायिक किचन की शुरुआत हुई. हमारे छोटे-छोटे बच्चे खाएंगे क्या, रहेंगे कैसे."- बाढ़ पीड़ित महिला

सरकारी राहत के इंतजार में ग्रामीण: तटबंध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उन्हें खाने के लिए कुछ अनाज मिल जाए. रहने के लिए प्लास्टिक मिल जाए. जिससे वो अपना और अपने बच्चों का पेट पाल सकें. बाढ़ पीड़ित सरकारी मदद की राह देख रहे हैं. बता दें कि वाल्मीकिनगर के गंडक बराज से छोड़े गए चार लाख चालीस हजार क्यूसेक पानी नौतन प्रखंड में तबाही मचाये हुए हैं.

कई गांव में फैला बाढ़ का पानी: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अबतक प्रशासन की ओर से कोई तैयारी नहीं की गई है. ईटीवी भारत की टीम बाढ़ पीड़ितों से हाल जाना. ये बाढ़ पीड़ित गांव राशन, प्लास्टिक, चुड़ा मीठा की सरकार से मांग कर रहें है. ये बड़ा आबादी वाला गांव गंडक नदी की तबाही झेलने पर मजबूर हो गया है. इन बेबस लाचार बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने अभी तक अधिकारी नहीं पहुंचे हैं.

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