पश्चिमी चंपारण(बगहा): धान की रोपनी शुरू होने के साथ ही किसानों की समस्या एक बार फिर बढ़ गई है. जिला के किसान कुदरत की मार से अभी उबरे भी नहीं थे कि खाद की कालाबाजारी और उसके बढ़े दाम ने उन्हें एक बार फिर तोड़ दिया है. सरकार के जरिए निर्धारित खाद का दाम महज 266 रुपये है. लेकिन गैर लाइसेंसी खाद दुकानदार किसानों से खाद की कीमत 400 रुपये ले रहे हैं.
खाद को लेकर किसानों की बढ़ी परेशानी
कोरोना महामारी के दौर में लॉक डाउन लगने से आम और खास सबकी आर्थिक स्थिति खराब है. ऐसे में बेमौसम बरसात की वजह से कुदरत की मार झेल चुके किसानों की हालत लॉक डाउन में सबसे ज्यादा बदतर हुई है. जिसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. अब जब धान रोपने और लहलहा रहे गन्ने के खेत में खाद छींटने का वक्त आया तो खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई. वहीं, जहां नहर नाला नहीं है वहां पटवन की भी समस्या बनी हुई है.
ज्यादा कीमत पर मिल रहे नकली खाद
जिला के बाजारों में गैर लाइसेंसी खाद दुकानदारों की भी चांदी है. ये दुकानदार कम कीमत पर उत्तरप्रदेश से उर्वरक मंगा कर ज्यादा दामों में किसानों से बेच रहे हैं. इलाके के किसानों का कहना है कि जो खाद 320 में मिलना चाहिए वह 400 रुपये में मिल रहा है. वह भी काफी मशक्कत के बाद. किसानों का कहना है कि जिन खाद वितरकों को लाइसेंस मिला है, उनके यहां खाद की किल्लत है. ऐसे में इन गैर लाइसेंसी दुकानदारों का सहारा लेना पड़ रहा है. अब ऐसे में पैसा कहां से आएगा कि खेती की जाएगी.
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डिमांड के मुताबिक नहीं हो रही आपूर्ति
एक लाइसेंसधारी खाद वितरक विनय कुमार सिंह ने बताया कि 2,000 की खपत है तो उसके मुकाबले रैक पॉइंट से महज 300 पैकेट ही खाद आपूर्ति की जा रही है. यही वजह है कि चोरी छुपे कई लोग अवैध तरीके से खाद की बिक्री कर रहे हैं. वितरक ने यह भी बताया कि यूरिया का सरकारी दर 266 रुपये है. लेकिन भाड़ा खर्चा जोड़ 320 तक बेचा जा रहा है. लेकिन गैर लाइसेंसी दुकानदार नकली खाद 400 रुपये में बेच रहे हैं. जिस पर प्रशासन को एक्शन लेना चाहिए.