बेतिया:इंसान अगर कुछ करने की ठान ले तो नामुमकिन कुछ भी नहीं है. बेतिया की चांद तारा ने अपनी हिम्मत और पढ़ाई करने के जुनून के आगे हर परेशानी को हराया है औरबुलंद हौसलों की उड़ान जमीन पर भरती है. दोनों पैरों से दिव्यांग छात्रा चांद तारा ( Divyang Girl Chand Tara From Bettiah) सालों से रेंग-रेंगकर स्कूल जाती है. घिसट-घिसट कर धरती नापती है और स्कूल पहुंचती है. उसकी पढ़ाई करने की ललक के आगे दिव्यांगता हार गयी है. चांद तारा रोजाना जमीन पर खुद को घसीटते हुए डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करते हुए स्कूल पहुंचती है.
पढ़ें- VIDEO: 500 मीटर तक पगडंडियों पर एक पांव से स्कूल जाती है 10 साल की सीमा
पढ़ना चाहती है चांद तारा: ये तस्वीर मझौलिया प्रखंड के हरपुर गढ़वा पंचायत (Divyang Girl From Harpur Garhwa Panchayat) के वार्ड नंबर 13 की है. दिव्यांग छात्रा हरपुर गढ़वा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय गढ़वा कन्या उर्दू विद्यालय की पांचवी क्लास में पढ़ती है. सीमा पढ़ाई पूरी कर शिक्षक बनना चाहती है ताकि आगे चलकर अन्य बच्चों को शिक्षित कर सके. साथ ही ये मासूम सरकार से ट्राई साइकिल मांग रही है ताकि स्कूल जा सके.
"मेरा नाम चांद तारा है. बहुत दूर से घसीट घसीटकर स्कूल आते हैं. हमें साइकिल दे दो, पैर लगवा दो."- चांद तारा, दिव्यांग छात्रा
जमीन पर घसीटते हुए डेढ़ किमी दूर जाती है स्कूल:चांद तारा ( Divyang Student Chand Tara Story From Bettiah) के पिता नहीं हैं. उनका इंतकाल हो चुका है. इसकी परवरिश मां करती है. चांद तारा के पांच बहन और चार भाई हैं लेकिन भाइयों ने भी इससे मुंह फेर लिया है. लगभग 15 साल की चांद तारा के हौसले बुलंद हैं. जैसा नाम है, वैसे ही इसकी सोच है. पढ़ने का लगन है. कुछ बनने का जुनून है. तभी तो सालों से धरती पर घिसक-घिसक कर डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल जाती है. इसे आज तक ट्राई साइकिल भी नहीं मिली है. यही नहीं इसे राशन कार्ड तक नहीं मिला है. इस बेबस, लाचार, छात्रा की किसी ने आज तक सुध नहीं ली है.