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MBBS छात्र ने वतन लौटकर सुनाई आपबीती, कहा- 'ट्रेनों में नहीं चढ़ने देते यूक्रेन के नागरिक'

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Published : Mar 7, 2022, 6:52 PM IST

रूस यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय छात्रों के लौटने का सिलसिला जारी है. छात्र अपने घर लौट तो रहे हैं, लेकिन उनके साथ वहां हुए बुरे बर्ताव को लेकर उनके मन में शिकायत है. वे उन यादों को नहीं भुला पा रहे जो उनके साथ घर लौटने के क्रम में हुआ. कुछ ऐसा ही यूक्रेन से अपने घर लौटे वैशाली जिला के छात्र आलोक कुमार ने बताया, जो वहां मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे. पढ़ें पूरी खबर..

यूक्रेन से लौटा छात्र ने सुनाई आप बीती
यूक्रेन से लौटा छात्र ने सुनाई आप बीती

वैशाली:रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) जारी है. इस बीच यूक्रेन से लौट रहे मेडिकल के छात्रों को अपने भविष्य को लेकर डर सताने लगा है. उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छूट जाने को लेकर आशंका है. साथ ही वहां उनके साथ हुए बुरे बर्ताव को लेकर भी काफी निराशा है. कुछ ऐसा ही यूक्रेन से लौटे वैशाली के छात्र आलोक कुमार (Student Alok kumar) ने बताया. छात्र ने बताया कि यूक्रेन के नागरिक भारतीय को ट्रेन पर चढ़ने नहीं देते थे. किसी तरह वह अपने देश लौट पाया है. भारत सरकार मदद तो कर रही है. लेकिन मदद यूक्रेन के बॉर्डर से बाहर ही मिल पाती थी.

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दस गुना ज्यादा किराया देने पड़ा:छात्र वैशाली जिले के महुआ प्रखंड के मंगुरहि गांव का निवासी है. वह यूक्रेन से भारत लौटा है. वह एमबीबीएस की पढ़ाई करने गया था. उसके गांव लौटने पर स्थानीय लोगों ने भव्य स्वागत किया. उसने बताया कि यूक्रेन में खार्कीव, सूमी और कीव ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से बॉर्डर एरिया 8 से 12 सौ किलोमीटर की दूरी पर है. सबसे बड़ी परेशानी यह है कि यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में यूक्रेन के नागरिक भारतीय को नहीं चढ़ने देते हैं. ऐसे में लोकल गाड़ी किराए पर लेनी पड़ती थी. जिसका किराया 10 गुना ज्यादा होता है.

यूक्रेन के एटीएम में पैसे नहीं:छात्र ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी यह है कि यूक्रेन के एटीएम में पैसे नहीं है. अब इन हालात में छात्र बॉर्डर तक कैसे पहुंचे. इस समस्या की तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए. बिना पैसे के बार्डर पार करना असंभव है. उसने बताया कि बार्डर पार करने के बाद ही सरकार से मदद मिल सकती थी. ऐसे में कई छात्रों को कई किमी तक पैदल चलना पड़ा.

बीच में पढ़ाई छूटने का डर सता रहा:छात्र का कहना है कि मेडिकल की पढ़ाई भारत में बहुत महंगी है, इसलिए छात्र यूक्रेन में पढ़ाई करने जाते है. वहां मेडिकल की पढ़ाई 25 लाख रूपए में हो जाता है. यूक्रेन में भी इंडियन सिलेबस की पढ़ाई होती है. वहां भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का सिलेबस को फॉलो किया जाता है. उसने बताया कि छात्रों को डर है कि युद्ध के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ना छूट जाएं. कई ऐसे छात्र है जो 3 से 4 साल की पढ़ाई पूरी कर चुके है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस विषय में छात्रों की मदद करें.

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