हाजीपुर:कहते हैं मन के जीते जीत है और मन हारे हार है. अर्थात दुनिया में कहीं भी आपके नाम का डंका क्यों न बज रहा हो, अगर घर में पूछ नहीं है तो आपकी सारी सफलता कहीं ना कहीं मायूसी के कोने में चली जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है देश के लिए पैरा ओलंपिक (Tokyo Paralympics) में गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रमोद भगत (Paralympic medal winner Pramod Bhagat) के साथ. उनकी उपलब्धि के लिए उन्हें खेल का सर्वोच्च पुरस्कार राष्ट्रपति ने दिया है.
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ओडिशा (Odisha) पहुंचने पर प्रमोद (Pramod Bhagat) का भव्य स्वागत किया गया था. ओडिशा सरकार की ओर से बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचने पर हीरो की तरह स्वागत किया गया और इस दौरान ढोल-नगाड़े भी बजे थे लेकिन उनके गृह प्रदेश बिहार (Bihar government) ने अब तक बुलावा नहीं भेजा है. इसका उनके परिवार को काफी मलाल है. हालांकि परिवार अभी भी उम्मीद लगाये बैठा है कि बिहार सरकार प्रमोद को बुलायेगी और यथोचित सम्मान देगी. प्रमोद भगत को इंतजार है बिहार सरकार के बुलावे का.