वैशाली:देश और दुनिया में विज्ञान ने हर क्षेत्र में तरक्की कर ली हो लेकिन आज भी शिक्षा और जागरुकता के अभाव में देश कई इलाकों में अंधविश्वास और आस्था विज्ञान पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. इसका जीता जागता उदहारण वैशालीजिले हाजीपुर का कोनहारा घाट (kaunhara ghat ) है. जहां कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भूतों का (Ghost Fair In Vaishali) यहां सबसे बड़ा मेला लगता है. हजारों की संख्या में दूर दराज से लोग नदी के तट पर कार्तिक पूर्णिमा से एक रात पहले आते हैं और देर रात से ही भूत भगाने के अनुष्ठान में लग जाते हैं.
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बता दें कि बिहार के हाजीपुर के कोनहारा घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर दुनिया के सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है. कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) से एक रात पूर्व ही यह खेल शुरू हो जाता है. रात भर चलने वाले इस अनुष्ठान को स्थानीय भाषा में भूत खेली कहते हैं. इस मेले में जहां लाखों लोग बुरी आत्माओं से छुटकारा के लिए पहुंचते हैं, वहीं, भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी मंडली लगाते हैं. जगह-जगह ओझाओं की मंडली सजी होती है, जो अलग-अलग अनुष्ठान कर रहे होते हैं.
इस बार भी कोरोना के बावजूद कार्तिक पूर्णिमा के अवसर हजारों की संख्या में लोग घाट पर पहुंचे हैं और रात से ही पूजा में लगे हुए हैं. हालांकि, इस दौरान कोरोना गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. ना किसी के चेहरे पर मास्क दिखा ना ही कोई सोशल डिस्टेंसिंग. यहां पर महिलाओं की संख्या ज्यादा होती है. ये ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों की होती है. जिन्हें शिक्षा के अभाव स्थानीय ओझा और तांत्रिक बहला-फुसलाकर भूत भगाने के नाम पर घाट किनारे लेकर आते हैं. ऐसे में मौके पर ईटीवी भारत के संवादादाता रंजीत पाठक ने हालात का जायजा लिया.
ईटीवी भारत से बातचीत से मौके पर मौजूद तांत्रिक ने बताया कि कम उम्र में मरने के बाद लोग प्रेत योनि में अवतार ले लेते हैं. हम लोग 20 साल से ये काम कर रहे हैं. यहां कितना हजार भूत आया और चला गया होगा, इसकी कोई गिनती नहीं है. रात 9 बजे से ही 30 से 40 हजार भूतों को भगाया गया है. जिससे लोगों को काफी फायदा मिला है.