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सुपौल में घूसखोर महिला BDO : '25 हजार से कम नहीं लूंगी' .. 20 पर सेट हुआ मामला - त्रिवेणीगंज BDO आशा कुमारी

सुपौल में घूस लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल (Video Viral of Taking Bribe in Supaul) हो रहा है. वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी (Triveniganj BDO) काम करने के बदले पैसे मांग रही हैं, और पुर्व मुखिया पति कम पैसा देकर काम कराना चाहते हैं. आप भी देखिए वीडियो....

घूस लेने का वीडियो वायरल
घूस लेने का वीडियो वायरल

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Published : May 26, 2022, 5:36 PM IST

सुपौल:बिहार के सुपौल में घूस लेने का मामला (Bribery Case in Supaul) सामने आया है. जिले केत्रिवेणीगंज BDO आशा कुमारी (Triveniganj BDO Asha Kumari) का पंचायत योजना के काम करने के लिए 20 हजार रुपए घूस लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. करीब 2 मिनट 45 सेकेंड के इस वीडियो में प्रखंड विकास पदाधिकारी और पूर्व मुखिया के बीच घूस की रकम बढ़ाने को लेकर खूब नोक-झोंक भी हो रही है.

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बीडीओ का घूस लेने का वीडियो वायरल:वायरल वीडियो में दोनों के बीच लेनदेन को लेकर हो रही बात भी स्पष्ट रुप से सुनाई दे रही है. जिसमें त्रिवेणीगंज की प्रखंड विकास पदाधिकारी, गुडिया पंचायत के पूर्व मुखिया पति शिवनारायण यादव से सात निश्चय योजना के तहत 10 लाख रुपए की राशि भुगतान के नाम पर 25 हजार रुपए घूस की मांग कर रही हैं. जबकि मुखिया पति द्वारा 20 हजार रुपए हाथ में लेकर, 20 हजार में बात फाइनल करने की बात कही जा रही है.

बीडीओ- घूस नहीं लेना है

पूर्व मुखिया पति- लीजिए न नाटक नहीं कीजिए

बीडीओ- हम घूस नहीं लेंगे

पूर्व मुखिया पति- लीजिए ना नाटक नहीं करिए

बीडीओ-20 नहीं लेंगे

पूर्व मुखिया पति- लीजिए ना नाटक न करो

बीडीओ-20 नहीं लेंगे. अपने मन से क्यों दे रहे हैं

बीडीओ- 20 दिए हैं

पूर्व मुखिया पति- हां

हालांकि इस मामले में जब बीडीओ आशा कुमारी से सवाल किया गया तो कन्नी काटते हुए नजर आईं. वायरल वीडियो की पुष्टि ETV Bharat नहीं करता है.

वीडियो में पैसे लेनदेन का हो रहा जिक्र:इस दौरान पूर्व मुखिया पति, कार्यालय में लगे सीसीटीवी को भी बंद करने की बात कहते हैं जिस पर बीडीओ आशा कुमारी कहती हैं, सीसीटीवी का तार कटा हुुआ है, बस डराने के लिए सीसीटीवी लगा है. गौरतलब है कि कहने को तो सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत पंचायत के विकास के लिए लाखों, करोड़ों रूपया का फंड हर साल देती है. लेकिन वो पैसा विभागीय अधिकारियों और प्रतिनिधियों के बीच बंट जाता है. क्षेत्र में काम के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है. पैसे के लेनदेन के बाद शिक्षक नियोजन को लेकर भी चर्चा होती है.

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