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चमगादड़ों से फैला कोरोना!, बिहार के इस गांव में होती हैं इनकी पूजा - corona virus in bihar

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के बाद चमगादड़ों को लेकर देशभर में लोगों को चमगादड़ों से सुरक्षित रखने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. वहीं, बिहार के सुपौल में एक गांव ऐसा भी है, जहां इनको दैवीय रूप माना जाता है.

लहरनिया गांव में है चमगादड़ पूजने की मान्यता
लहरनिया गांव में है चमगादड़ पूजने की मान्यता

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Published : Apr 15, 2020, 7:56 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 8:52 PM IST

सुपौल: देश में आईसीएमआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि चमगादड़ों में कोविड-2 टाइप का वायरस पाया जाता है. ऐसे में जब पूरा विश्व कोरोना से जूझ रहा है, तो ये रिपोर्ट डरावनी सी लगती है. लेकिन बिहार के सुपौल में एक गांव ऐसा भी जहां सैकड़ों एकड़ में कई साल पहले चमगादड़ों को बसाया गया और वहां के लोग आज भी इसे दैवीय रूप मानकर इसका संरक्षण कर रहे हैं.

हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश के 6 राज्यों में कोरोना वायरस को लेकर चमगादड़ों की जब सैंपल इकट्ठा की तो भारत के कुल 4 राज्यों के चमगादड़ों में कोविड-2 टाइप के वायरस होने की पुष्टि की. इसके बाद इससे लोगों को सुरक्षित करने के लिए देश में भी तैयारी शुरू कर दी गई. लेकिन सुपौल जिले का त्रिवेणीगंज प्रखंड में बसा लाहरनिया गांव में लोग चमगादड़ की सुरक्षा और इनकी पूजा करते हैं.

सुपौल से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

करीब लाखों की संख्या में बसे इन चमगादड़ों को यहां के लोग दैवीय रूप मानते है. लोगों की मान्यता है ये चमगादड़ किसी घटना की पूर्वानुमान कराते हैं, तो इन्हें कैसे हटा दें. उन्हें इस चमगादड़ से कोरोना होने का तनिक भी भय नहीं सताता है.

चीन में हुए शोध से ये मालूम हुआ है कि ये वायरस चमगादड़ों से आया है. चमगादड़ ने इसे पैंगोलिंस में ट्रांसफर किया होगा, पैंगोलिन से ये मनुष्यों में आ गया. हमने निगरानी भी की, जिसमें हमने पाया कि चमगादड़ दो प्रकार के होते हैं, जिनमें कोरोना वायरस होता है जो शायद 1000 साल में एक बार मनुष्यों में पहुंचे.- रमन गंगाखेडकर, आईसीएमआर

सजग हुआ जिला प्रशासन
वहीं जिला प्रशासन ने भी इस रिपोर्ट के आने के बाद पशुपालन और स्वास्थ्य महकमे को सजग कर दिया है. इस बाबत डीएम महेंद्र कुमार ने बताया कि अब तक चमगादड़ों से इंसान के शरीर में किस तरह से कोविड का असर होता है. इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन जिला प्रशासन वहां के लोगों को इस समस्या के लिए जागरूक करेगी और अगर किसी मे कोरोना के लक्षण मिलते हैं, तो आगे की करवाई की जाएगी. बहरहाल, इस नए बीमारी ने लोगो को अचरज में डाल दिया. लेकिन जरूरत है कि गांव वासी चमगादड़ों से दूरी बना लें.

पेड़ों में मिलते हैं लाखों की संख्या में चमगादड़

क्या कहती है वैज्ञानिकों की रिपोर्ट
देश के 4 राज्यों में चमगादड़ों के नमूनों में बैट कोरोना वायरस (बीटी सीओवी) होने की पुष्टि की गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरोना वायरस कोविड-19 बीमारी के कोरोना वायरस सार्स सीओवी2 से मिलता जुलता हो सकता है. शोध का मकसद यह जानना था कि कोरोना वायरस की प्रजाति के कौन से और वायरस चमगादड़ या अन्य जीवों में मौजूद हो सकते हैं. यह शोध इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है.

लहरनिया गांव में है चमगादड़ पूजने की मान्यता

10 राज्यों में अध्ययन

  • इस शोध में वैज्ञानिकों ने भारत के 10 राज्यों में मौजूद दो प्रजाति की चमगादड़ के सैम्पल लिए थे.
  • इनमें पिटरोपस एवं रोसेट्स प्रजाति के चमगादड़ों के नमूने लिए गए.
  • वैज्ञानिकों ने पाया कि भारत में 10 राज्यों में से 4 राज्यों के चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है.

इन राज्यों में मिला वायरस

  • केरल, हिमाचल और तमिलनाडु और पॉन्डिचेरी में चमगादड़ से लिए गए नमूनों में बैट कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई.
  • हालांकि, ये पुष्टि नहीं की गई है कि इंसानों में कोरोना वायरस चमगादड़ों से फैल रहा है.

चमगादड़ ने फैलाई कई बिमारियां

  1. 2002 में चमगादड़ से फैले सार्स वायरस से दुनियाभर में 774 मौते हुईं. सार्स वायरस पहले चमगादड़ से बिल्ली और फिर इंसानों तक पहुंचा.
  2. 2018 में केरल में निपाह वायरस का वाहक भारतीय फलभक्षी चमगादड़ था, इससे 17 मौतें हुई थीं.
  3. इबोला, रैबीज, हेंद्र और मारबर्ग वायरस का भी वाहक चमगादड़ ही बताया जा चुका है.
Last Updated : Apr 15, 2020, 8:52 PM IST

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