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ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा बिहार! सुपौल में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का हो रहा है निर्माण

मत्स्य पालकों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से तालाब के ऊपर सोलर प्लांट से बिजली उत्पादन और नीचे मछली पालन का कार्य किया जाना है. इस योजना के तहत लगाए जाने वाले संयंत्र की लागत 3.10 करोड़ बतायी जा रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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सुपौल सोलर प्लांट

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Published : Dec 31, 2021, 12:21 PM IST

सुपौल:यूं तो ऊर्जा और निर्बाध बिजली के मामले में सुपौल को बिजली की राजधानी की संज्ञा दी जाती है. लेकिन ग्रीन उर्जा के मामले में सुपौल व राज्य समृद्ध हो, इसके लिए उर्जा विभाग द्वारा नीचे मछली और ऊपर बिजली योजना की स्वीकृति प्रदान की गयी है. इस योजना के तहत पिपरा प्रखंड के दीनापट्टी पंचायत के सखुआ गांव स्थित राजा पोखर (Floating Solar Power Plant At Raja Pokhar) का चयन किया गया है. जहां फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट कार्य का शुभारंभ हो गया है.

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सौर ऊर्जा से प्राप्त बिजली को पीपरा पीएसस के माध्यम से क्षेत्रीय उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति (Power Supply In Supaul) की जायेगी. यह उर्जा विभाग की पहली योजना है. हालांकि सौर उर्जा से बिजली उत्पादन का दूसरा कार्य दरभंगा में किया जा रहा है, लेकिन राजा पोखर का कार्य बिहार रेनेवल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी स्वयं देख रही है. ग्रीन उर्जा उत्पादन की दिशा में इसे बेहतर पहल मानी जा रही है. इस विधि से उर्जा उत्पादन में किसी प्रकार के प्रदूषण की संभावना नहीं है.

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इस योजना के लिए स्थानीय लोगों ने ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव के प्रति आभार व्यक्त किया है. ग्रामीण संजय यादव सहित अन्य ने बताया कि दूरगामी सोच को लेकर ऊर्जा मंत्री ने इस इलाके में इस योजना की मंजूरी दी. इस योजना के पूर्ण हो जाने से तैरता सौलर प्लांट से यह इलाका जगमग हो जायेगा. जिससे इलाके के लोगों में हर्ष का माहौल है.

देखें रिपोर्ट.

पूरी दुनिया में उर्जा के नए-नए साधनों का विकास किया जा रहा है. इसी कड़ी में राज्य सरकार सौर उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते हुए सुपौल में बिहार का पहला फ्लोंटिग सोलर पावर प्लांट लगाने की मंजूरी दी है. इस योजना के तहत 525 किलो वाट बिजली का उत्पादन किया जायेगा. जानकारी अनुसार योजना कार्य अहमदाबाद के जेनसोल सोलर कंपनी ने प्रारंभ कर दिया है. इस कार्य के कार्यादेश वर्ष 2020 में ही प्रदान किया जा चुका था. लेकिन हाल के दिनों में यह शुभ कार्य प्रारंभ हो गया है. सौर उर्जा से बिजली उत्पादन के लिए उपकरण भी कार्य स्थल पर जमा कर लिया गया है. इस योजना के तहत मत्स्य विभाग द्वारा पानी में मछली पालन किया जायेगा. साथ ही उर्जा विभाग द्वारा पानी पर तैरता हुआ सोलर प्लेट लगा कर ग्रीन उर्जा उत्पन्न किया जायेगा.

ऊपर बिजली नीचे मछली योजना के तहत लगाये जाने वाले संयंत्र की लागत 3.10 करोड़ बतायी जा रही है. जिसके नोडल पदाधिकारी विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रशांत कुमार मंजू को बनाया गया है. बताया जा रहा है कि इस योजना को 26 जनवरी 2022 तक पूर्ण कर लिया जाना था. लेकिन तकनीकी वजह से उक्त अवधि में कार्य पूर्ण कराना असंभव है. बताया जा रहा है कि एक से दो महीन में यह कार्य प्रारंभ कर लिया जायेगा. कार्य पूर्ण हो जाने के बाद लोकल लेवल पर उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति की जायेगी.

गौरतलब है कि फ्लोटिंग सोलर प्लांट, भूमि आधारित सौर संयंत्रों के लिए एक ऐसा विकल्प है. जिसमें जल निकायों की सतह पर फोटोवोल्टिक पैनलों की तैनाती की जाती है. ये फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने में मदद करते है. जो अक्षय उर्जा संयंत्र मालिकों को ग्रिड कनेक्टिविटी, भूमि अधिग्रहण, विनियम के संबंध में झेलनी पड़ती है.

इन फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स को स्थापित करने का एक अन्य लाभ जल निकायों का शीतलन प्रभाव है. जिससे इन सौर पैनलों का प्रदर्शन 05 से 10 प्रतिशत बढ़ जाता है. बता दें कि वर्ष 2019 में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोलर योजना पर काम करने का निर्देश दिया था. इस योजना के प्रथम चरण के तहत सभी सरकारी, निजी कार्यालयों एवं संस्थानों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने का काम शुरू किया गया.

'कोयला आधारित बिजली को छोड़ गैर परंपरागत उर्जा को बढ़ावा देने के उदेश्य से सरकार सोलर बिजली पर काम कर रही है. जिससे पर्यावरण सहित लोगों को काफी लाभ मिलेगा. उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बिहार की परिकल्पना को यह योजना साकार करेगी. बताया कि ढाई एकड़ में फैले सुखआ स्थित राजा पोखर में सोलर फ्लोटिंग पावर प्लांट का कार्य प्रारंभ हो चुका है. जहां पोखर के पानी में मछली पानी व ऊपर में सौर उर्जा से बिजली उत्पादन होगा.'-महेंद्र कुमार, जिलाधिकारी

जिलाधिकारी ने बताया कि 525 किलो वाट बिजली से करीब एक हजार लोगों के घर तक बिजली पहुंचायी जा सकती है. डेढ से दो महीने भीतर इस योजना को पूर्ण करा लिया जायेगा. योजना की सफलता के बाद अन्य स्थानों पर भी इसी तर्ज पर बिजली उत्पादन की दिशा में सार्थक पहल की जायेगी. बताया कि पोखर का सौंदर्यीकरण का भी कार्य कराया जायेगा. जो ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए यह योजना आकर्षण का केंद्र बना रहेगा.

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