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सीतामढ़ी: अनाथालय और रैन बसेरा में संचालित हो रहा है ANM स्कूल का छात्रावास - सीतामढ़ी महिला छात्रावास

छात्राओं की शिकायत पर सिविल सर्जन रविंद्र कुमार ने दोनों छात्रावास में औचक निरीक्षण किया, तो पाया कि छात्राओं की शिकायत जायज है और उस समस्या को दूर करने के लिए सिविल सर्जन ने संबंधित अधिकारियों को आदेश भी दिए गए हैं.

सीतामढ़ी का अनाथालय

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Published : Aug 14, 2019, 2:44 PM IST

सीतामढ़ी:जिला मुख्यालय में संचालित होने वाला एएनएम स्कूल का छात्रावास अक्टूबर 2018 से ही रैन बसेरा और अनाथालय में संचालित हो रहा है. इसका नतीजा यह है कि इस छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

एएनएम स्कूल की छात्राऐं

छात्रावास में नहीं है मूलभूत सुविधाएं
दरअसल पुराने एएनएम स्कूल के भवन को तोड़कर नए भवन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद छात्रावास को अनाथालय और रैन बसेरा में शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन वहां मूलभूत सुविधाएं बहाल नहीं कराई गई. लिहाजा छात्राओं का रहना और पठन-पाठन करना बेहद मुश्किल हो गया है. छात्रावास में रहने वाली 84 छात्राओं ने बताया कि रैन बसेरा वाले भवन में 24 छात्राओं को रखा गया है. जहां पेयजल, शौचालय और पंखे की कमी है. लिहाजा वहां रहकर पठन-पाठन करना बेहद मुश्किल हो गया है.

छात्रावास में नहीं है मूलभूत सुविधाएं

छात्राओं को पढ़ने में होती है काफी परेशानी
वहीं, अनाथालय भवन में 60 छात्राओं को तीन कमरे में रखा गया है. जिस कमरे में उन छात्राओं को रखा गया है, वह कमरा बेहद छोटा है. जिस कारण छात्राओं को रहने और पढ़ने में काफी परेशानी हो रही है. साथ ही उस परिसर में चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इस दोनों छात्रावास में साफ-सफाई के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी भी सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई है. लिहाजा साफ सफाई का काम छात्राओं को खुद करना पड़ता है.

सीतामढ़ी के अनाथालय और रैनबसेरा में संचालित हो रहा है महिला छात्रावास

क्या कहती हैं प्राचार्य
छात्राओं की शिकायत पर सिविल सर्जन रविंद्र कुमार ने दोनों छात्रावास में औचक निरीक्षण किया, तो पाया कि छात्राओं की शिकायत जायज है और उस समस्या को दूर करने के लिए सिविल सर्जन ने संबंधित अधिकारियों को आदेश भी दिए गए हैं. वहीं, छात्रावास की प्राचार्य आशा कुमारी ने बताया कि समुचित व्यवस्था और भवन नहीं होने के कारण छात्राओं का जीवन जिल्लत भरा हो गया है. इसके अलावा दोनों छात्रावास में काम करने वाले पुरुष कर्मियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं होने के कारण पुरुष शिक्षक और अन्य कर्मियों को शौच के लिए सड़कों पर जाना पड़ता है. साथ ही बारिश का मौसम होने के कारण परिसर में चारों ओर जलजमाव हो जाता है, जिस कारण छात्राओं को छात्रावास से निकलकर हॉस्पिटल जाने में भारी कठिनाई होती है.

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