सीतामढ़ी: बिहार सरकार के उद्योग विरोधी नीति के कारण आगामी चीनी मिल का सीजन चलाना काफी मुश्किल होता जा रहा है. विगत 5 वर्षों से कई प्रकार के अनुदान की राशि लगभग 20 करोड़ सरकार के यहां लंबित है. गन्ने के मूल्य के अनुरूप चीनी का मूल्य काफी कम है. किसानों को भुगतान कर पाना चीनी मिल से संभव नहीं है. ऐसी परिस्थिति में आगामी सीजन बिना सरकारी सहयोग के नहीं चलने वाला है. यह बातें मुख्य प्रबंध निदेशक ओमप्रकाश धानुका ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों को बताया.
चीनी मिल का जीर्णोद्धार
ओमप्रकाश धानुका ने मजदूरों के चल रहे हड़ताल पर कहा कि हड़ताल असंवैधानिक है. 90 दिनों से कम मिल चलने पर ऐसा किया गया है. कोई फैक्ट्री 90 दिनों से कम चलने पर अपने मजदूरों को पेऑफ कर देती है. पिछले सीजन में 12 करोड़ की लागत से चीनी मिल का जीर्णोद्धार कराया गया. चीनी बिकने पर 85 प्रतिशत की राशि किसानों को दिया जाता है. 10 प्रतिशत बैंक में जमा किया जाता है. मात्र 5 प्रतिशत से चीनी मिल की सभी जरूरत को पूरा किया जाता है. लेकिन अभी 5 प्रतिशत भी मिल प्रबंधन को नहीं दिया जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से बैंक वह 5 प्रतिशत भी काट ले रही है.
भुगतान करने की मांग
बता दें पहले चीनी बिक्री का 70 प्रतिशत किसानों के खाते में और 30 प्रतिशत चीनी मिल को मिलता था. केंद्र सरकार की ओर से घोषित ऋण बड़े-बड़े चीनी मिल को मिल जाता है. लेकिन छोटे-छोटे मिल को अधिक शर्त रहने के कारण नहीं मिल पाता है. आगामी सीजन चलाने के लिए चीनी के मूल्य में 4 रुपये प्रति किलो की वृद्धि और सभी बकाए अनुदान की राशि राज्य सरकार की ओर से भुगतान करने की मांग की गई है.
करोड़ों रुपया चीनी मिल पर बकाया
इस सत्र में 20 लाख 95 हजार कुंटल गन्ने की ही पेराई हुई है. वहीं चीनी मिल के मुख्य महाप्रबंधक शशि गुप्ता ने बताया कि चालू सीजन में मात्र 20 लाख 95 हजार कुंटल गन्ने की ही पेराई हो सकी है. किसानों का करोड़ों रुपया चीनी मिल पर बकाया है. चीनी की बिक्री कर गन्ना किसानों का बकाया राशि का भुगतान हो रहा था. पिछले कुछ दिनों से रीगा मील वर्कर्स यूनियन की ओर से बेवजह चीनी मिल के मुख्य द्वार पर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. जिसको लेकर चीनी मिल से चीनी बेचना भी काफी मुश्किल हो गया है.
भुगतान को लेकर धरना-प्रदर्शन
शशि गुप्ता ने कहा कि वर्करों की ओर से चीनी की एक भी गाड़ी चीनी मिल से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है. चीनी मिल आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मिल को सरकार की सहायता की जरूरत है. दूसरी ओर अपनी मांगों को लेकर रीगा मील वर्कर्स यूनियन की ओर से चीनी मिल के मुख्य द्वार पर लगातार धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम जारी है. मजदूरों का कहना है हम लोगों को लॉकडाउन के दौरान गलत नीति से मिल प्रबंधन ने चीनी मिल से बाहर कर दिया गया है. बकाए राशि, ओवरटाइम और सभी तरह की भुगतान को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है.