सीतामढ़ी:रीगा चीनी मिल बंद होने से गन्ने की फसल खेतों में बर्बाद हो रही है. जिले के गन्ना किसानों ने तकरीबन 100 करोड़ का गन्ना लगाया था. इन किसानों को सहुलियत ये थी कि रीगा शुगर मिल पर ही उनके सारे गन्ने उचित रेट पर ले लिए जाते थे. इससे उनकी कमाई भी अच्छी होती थी. लेकिन अब मिल पर ताला लटक चुका है. इस वजह से किसानों में मायूसी है.
स्थानीय गन्ना किसान आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. उसे सूझ नहीं रहा है कि वो जाए तो कहां. फसल खेतों में बर्बाद हो रही है और किसान घरों में भूखों मरने को विवश हो रहे हैं. ऐसे में इन किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
100 करोड़ के गन्ने की फसल हो रही बर्बाद
जिले के गन्ना किसान जहां आर्थिक संकट की मार झेल रहे हैं, वहीं जिले के गन्ना किसानों के द्वारा खेतों में लगाई गई करीब 100 करोड़ की गन्ने की फसल अभी भी खेतों में पड़ी है. गन्ना खेतों में ही बर्बाद हो रहा है. आलम यह है कि रीगा चीनी मिल के बंद होने से अब इन गन्नों का किसान क्या करे? पहले यही गन्ना किसान रीगा शुगर मिल पर गन्ना भेजता था. बाकी बचे हुए गन्ने की पेराई कर गुड़ का निर्माण करते थे. लेकिन इनती मात्रा में पेराई करना किसानोंं के वश में नहीं. रीगा चीनी मिल बंद होने से गन्ना किसान अब क्या करे? उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है.
100 करोड़ की गन्ने की फसल हो रही बर्बाद रीगा चीनी मिल पर किसानों का 80 करोड़ रुपए बकाया
एक तरफ रीगा चीनी मिल बंद पड़ी है, वहीं दूसरी तरफ जिले के गन्ना किसानों का 80 करोड़ रुपए बकाया है. रीगा चीनी मिल के प्रबंधक ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसान तैयब अंसारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उनके सामने हालात बिगड़ चुके हैं. जिले के गन्ना किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं. जिले के किसानों का 80 करोड़ रुपए रीगा शुगर मिल पर बकाया है, जबकि उनके खेतों में गन्ने की फसल भी लगी हुई है. किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. अब किसान गन्ने को काटकर जलावन का इस्तेमाल कर रहे हैं.
प्रदेश में 11 चीनी मिल ही चालू हालत में
रीगा चीनी मिल किसी जमाने में प्रदेश की शान हुआ करता था. लेकिन अब वो भी दम तोड़ चुकी है. बिहार में फिलहाल 12 चीनी मिल चालू हालत में थीं. लेकिन रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने से ये आंकड़ा 11 पर ही सिमट कर रह गया है.
खोतों में खड़ी गन्ने की फसल दूसरों का पेट भरने वाले अन्नदाता के ही पेट खाली
चुनाव के वक्त विपक्ष और सत्ता पक्ष को किसानों की समस्या दिखाई देती है. लेकिन चुनाव बीतते ही उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता. अन्नदाता आज मुश्किल दौर में है. NDA सरकार भी किसानों को दोगुना फायदा दिलाने के लिए प्रयासरत है. लेकिन आखिर कब तक किसान सरकारी नाकामियों की मार झेलेगा. खेती को फायदे का धंधा जब तक सरकार नहीं बना लेती तब तक इन किसानों के लिए सरकार को कुछ ऐसा इंतजाम करना होगा, ताकि दूसरों का पेट भरने वाले अन्नदाता को खुद भूखों न रहना पड़े.