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सीतामढ़ी जिले में बढ़ रहे हैं एड्स मरीजों की संख्या, महिला-पुरुष के अलावे बच्चे भी चपेट में

चिकित्सा पदाधिकारी का कहना है कि इस सेंटर में प्रति माह 50 नए मरीज आ रहे है. जिनका जांच और रजिस्ट्रेशन कर इलाज शुरू किया जाता है. जो बेहद ही चिंता का विषय है.

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Published : Jun 11, 2019, 2:06 PM IST

एआरटी सेंटर

सीतामढ़ी:जिला में जागरूकता और शिक्षा की कमी के कारण हजारों लोग एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं. जिसमें पुरुष, महिला, बुजूर्ग के अलावे सैकड़ों बच्चे भी शामिल हैं. यह चिंता का विषय है. 6 वर्षो के अंदर इस रोग से पीड़ित करीब 850 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.

जानकारी देते डॉक्टर नफीस अख्तर, चिकित्सा पदाधिकारी

जिले में इस बिमारी के लिए एआरटी सेंटर का संचालन 1 दिसंबर 2012 को शुरू किया गया था. तब से अब तक इस सेंटर पर इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या 5109 पहुंच चुकी है. इसमें 2748 पुरुष, 2005 महिला, 2 ट्रांसजेंडर, 234 चाइल्ड मेल और 120 चाइल्ड फीमेल शामिल हैं. वहीं, दवा सेवन नहीं किए जाने के कारण 117 और दवा खाते हुए 691 लोगों की इस बीमारी से विगत 6 वर्षों में मौत हो चुकी है. चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा नियमित दवा सेवन और जांच कराने वाले मरीजों का है. लेकिन इससे कहीं अधिक संख्या उन मरीजों की होगी जो दूसरे प्रदेशों में काम करते हैं. लोक लाज के कारण अपना इलाज उसी प्रदेशों में करा रहे हैं. जिसका समुचित आंकड़ा जिला के एआरटी सेंटर में उपलब्ध नहीं है.

एटीआर सेंटर पर मरीज

मरीजों को नहीं मिल रहा प्रोत्साहन राशि

एआरटी सेंटर पर नियमित दवा और जांच करवाने वाले मरीजों की शिकायत है कि उनको सरकार की ओर से प्रति माह मिलने वाला 1500 रुपये प्रोत्साहन राशि समाज कल्याण विभाग द्वारा नहीं दिया जा रहा है. हालांकि सेंटर से जुड़े कर्मियों का बताना है कि वर्ष 2012 से अब तक केवल 300 मरीजों को समाज कल्याण विभाग ने 6000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान किया है. जो केवल 4 माह का ही प्रोत्साहन राशि होता है. इसके अलावा सभी मरीज प्रोत्साहन राशि से अब तक वंचित हैं.

बेहतर इलाज के लिए बेहतर सेंटर का अवार्ड

चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर नफीस अख्तर ने बताया कि जिले के इस एआरटी सेंटर को पूरे भारत में सबसे बेहतर सेंटर के रूप में चयन किया गया है. इसको लेकर नाकों (noco)के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित कर चुके है.

प्रति माह जिले में मिल रहा 50 नए मरीज

चिकित्सा पदाधिकारी का कहना है कि इस सेंटर में प्रति माह 50 नए मरीज आ रहे है. जिनका जांच और रजिस्ट्रेशन कर इलाज शुरू किया जाता है. जो बेहद ही चिंता का विषय है. चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण लोग दूसरे प्रदेशों में परिवार से दूर जाकर जो गलतियां कर बैठते हैं. इसी का नतीजा है कि उन्हें यह जानलेवा बीमारी घर कर लेती है. साथ ही उनके ऊपर निर्भर उनकी पत्नी और आने वाले बच्चे भी इस बीमारी के शिकार हो जा रहे हैं.

बेहतर इलाज के कारण मृत्यु दर में आई कमी

सेंटर पर मरीजों के इलाज करने वाले चिकित्सक ने बताया कि साढे 6 वर्षों के अंदर सेंटर द्वारा मरीजों को बेहतर चिकित्सा सेवा मुहैया कराया गया है. इसी कारण हाल के दिनों में मृत्यु दर में काफी कमी दर्ज की गई है. वर्ष 2014 में मरने वाले मरीजों की संख्या 205 थी जो मार्च 2019 में घटकर 39 हो गई है. यह बेहतर इलाज और नियमित जांच का परिणाम है. आगे भी यह निरंतर प्रयास जारी रहेगा कि इस आंकड़े को और भी कम किया जा सके. इसको लेकर सेंटर के चिकित्सक और कर्मी निरंतर परिश्रम कर रहे हैं.

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