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ग्राउंड रिपोर्ट: एईएस नरीजों के लिए तैयार बेड पर कर्मचारी फरमाते हैं आराम - patients

पीएचसी में जो एईएस वार्ड बनाए गए है, उसके अंदर दो बेड लगाया गया है. जहां मरीजों के जगह स्वास्थ्य कर्मी आराम फरमाते हैं और दूसरे बेड पर कार्यालय का कागजी कामकाज निपटाया जाता है. वहीं वार्ड में जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए गए हैं उसमें लगने वाला अन्य उपयोगी उपकरण भी उपलब्ध नहीं है. लिहाजा जो तैयारी का दावा किया जा रहा है उसमें कहीं से भी हकीकत नहीं दिख रही है.

एईएस वार्ड

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Published : Jun 25, 2019, 2:39 PM IST

सीतामढ़ीः परसौनी पीएचसी का दावा है कि सरकारी अस्पतालों में एईएस के मरीजों को सभी सुविधाएं मिल रही हैं. मरीजों के इलाज में किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं होती. लेकीन इन खोखले दावों की हकीकत तब सामने आई जब ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड रिपोर्ट के लिए परसौनी पीएचसी पहुंची.

दरअसल, पीएचसी में जो एईएस वार्ड बनाए गए हैं, उसके अंदर दो बेड लगाया गया है. जहां मरीजों की जगह स्वास्थ्य कर्मी आराम फरमाते हैं और दूसरे बेड पर कार्यालय का कागजी कामकाज निपटाया जाता है. वहीं वार्ड में जो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए गए हैं उसमें लगने वाला अन्य उपयोगी उपकरण भी उपलब्ध नहीं है. लिहाजा जो तैयारी का दावा किया जा रहा है उसमें कहीं से भी हकीकत नहीं दिख रही है.

एईएस वार्ड

स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी
वैसे तो इस अस्पताल में कई प्रकार की कमियां देखने को मिली. यहां विभाग की ओर से 7 सरकारी चिकित्सक का पद सृजित है. लेकिन केवल 2 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. शेष एक चिकित्सक डॉ.अविनाश कुमार विगत 2 वर्षों से बीमार होने का आवेदन देकर ड्यूटी से अब तक गायब हैं. इसके अलावा यहां 30 एएनएम का पद भी सृजित है. जिसमें केवल 9 एएनएम ही ड्यूटी पर तैनात हैं. इसके अलावा ड्रेसर, फार्मासिस्ट, ओटी टेक्निशियन और ए ग्रेड नर्स का पद रिक्त पड़ा हुआ है.

PHC में नहीं है एईएस की मुकम्मल तैयारी

वहीं इस मामले में जब अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शुभ नारायण से पूछा गया तो पहले उन्होंने कहा कि अस्पताल में कोई भी कमी नहीं है. यहां मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं. लेकिन जब उनसे पीएचसी में संसाधनों की कमी के बारे में जोर देकर पूछा गया तो डॉक्टर बातों को टाल मटोल कर वहां से चले गए.

उदासीनता का दंश झेल रहा पीएचसी
मात्र 6 बेड वाले इस पीएचसी में प्रतिदिन जो मरीज इलाज के लिए आते हैं उसकी तुलना में कम से कम 30 बेड होने चाहिए. लेकिन भवन और वार्ड के अभाव में बेडों की संख्या बढ़ाई भी नहीं जा सकती है. लिहाजा विभागीय उदासीनता का दंश झेल रहा यह पीएचसी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. और इसका खामियाजा यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

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