सीतामढ़ी: जिले के बेलसंड अनुमंडल की करीब आठ लाख की आबादी के लिए सरकार ने बस पड़ाव की सुविधा साल 2016 के दिसंबर में बहाल कराई गई. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी इस बस स्टैंड का लाभ ना तो बस ठहराव के लिए सरकारी बस कर्मियो को मिल पा रहा है और न ही यात्रियों को. लिहाजा यह बस स्टैंड मवेशियों का चारागाह बना हुआ है. शाम ढलते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है.
पिछले तीन सालों में इस डेढ़ करोड़ की लागत से बने भवन से चोरों ने विद्युत आपूर्ति के लिए लगाए गए उपकरण, जलापूर्ति के लिए लगाए गए पाइपलाइन के अलावा अन्य सामानों पर हाथ साफ कर लिया. वहीं देखरेख के अभाव में इसके खिड़की और दरवाजे में लगे कांच के पल्ले भी तोड़ टूट चुके हैं. स्थानीय लोगों द्वारा इस भवन का उपयोग गोदाम के रूप में किया जाता है.
सरकारी बस स्टैंड की स्थिति बदहाल असामाजिक तत्वों का अड्डा बना सरकारी बस स्टैंड
बता दें कि 24 दिसंबर 2016 को नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा डेढ़ करोड़ 40 लाख की लागत से इस बस स्टैंड का निर्माण कराया गया जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री महेश्वर हजारी ने किया था. तब से यह भवन आम लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. इस बस पड़ाव का आम यात्रियों के लिए कोई औचित्य नहीं रह गया है.
सीएम नीतीश कुमार और तत्कालीन नगर विकास एवं आवास मंत्री ने किया था बस स्टैंड का उद्घाटन प्रशासन बेसुध
बेलसंड अनुमंडल से प्रतिदिन बिहार राज्य पथ परिवहन की 3 बसें पटना के लिए प्रस्थान करती हैं जिसमें प्रतिदिन करीब 300 यात्री सफर करते हैं. लेकिन इस बस का संचालन बस पड़ाव से नहीं करके वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर चंदौली बांध से किया जा रहा है. बस पड़ाव की इस दुर्दशा पर ना तो जिला प्रशासन का ध्यान जाता है ना ही नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का. लिहाजा इस डेढ़ करोड़ के भवन में गाय, भैंस, बकरी के अलावे चरवाहा और असामाजिक तत्व आराम फरमाते हैं.
जानकारी देते स्थानीय और अंचलाधिकारी अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी वारदात को देते हैं अंजाम
इसके अंदर कई टिकट काउंटर, शौचालय, प्रतिक्षालय सहित अन्य आवश्यक चीजें निर्माण कराई गई है. लेकिन इसके देखरेख के लिए किसी चतुर्थवर्गीय कर्मी की भी नियुक्ति नहीं की गई है और ना ही नाइट गार्ड को बहाल किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि शाम ढलते ही असामाजिक तत्वों का यहां जमावड़ा लग जाता है. अंधेरा होने के कारण इस जगह पर छिनतई की घटना को भी अपराधी अंजाम देते हैं.
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यात्रियों को हो रही परेशानी
लोगों की मानें तो सरकारी बस पड़ाव कि ऐसी स्थिति निजी बस के एजेंट द्वारा बनाई गई है क्योंकि कई बार सरकारी बस के कर्मियों के साथ निजी बस के एजेंट द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम देकर दहशत पैदा किया गया है. इसलिए सरकारी बस के कर्मी अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं और इसका परिचालन चंदौली बांध से करते हैं. ऐसे में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.