सीतामढ़ी: जिले का अधिकांश प्रखंड और अनुमंडल बाढ़ से प्रभावित है. बेलसंड अनुमंडल की आबादी करीब चार लाख है. यहां के लोग बागमती और बूढ़ी गंडक के कारण बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं. बाढ़ के समय आवागमन का एक मात्र साधन नाव बचता है. लेकिन सरकार की तरफ से नाव उपलब्ध कराने के दावे को ग्रामीण खोखला बता रहे हैं.
बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल से ग्राउंड रिपोर्ट प्रलयकारी बाढ़ में जिला मुख्यालय और अन्य शहरों से अनुमंडल के अधिकांश गांवों का संपर्क टूट जाता है. इस साल भी जिले में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. लेकिन अबतक अधिकांश पंचायतों की जनता को नाव मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके कारण जनता के बीच काफी आक्रोश है.
झूठा आश्वासन दे रहे अधिकारी
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से निकलने के लिए यहां कोई साधन नहीं है. प्रशासन का दावा है कि जनता के बचाव के लिए 38 नाव मौजूद है. जबकि लोगों का कहना है कि स्थानीय पदाधिकारी सिर्फ झूठा आश्वासन दे रहे हैं. ग्रामीणों की शिकायत है कि एक भी नाव की खरीद नहीं की गई है. पुराने नावों से काम चलाया जा रहा है. गांव के दबंग लोगों को नाव मुहैया कराया जाता है. जबकि ग्रामीणों को अपना बचाव खुद करना पड़ता है.
बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल के लोग परिचालन लायक मात्र 20 नाव
अंचलाधिकारी अमरेंद्र प्रताप शाही ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नाव की पर्याप्त उपलब्धता की बात कही. हालांकि 38 नाव में करीब 18 सड़कर टूट चुके हैं. मात्र 20 परिचालन लायक है. उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि यहां बाढ़ के दौरान 60 से 70 नावों की जरूरत है.
बाढ़ प्रभावित बेलसंड अनुमंडल में बढ़ता जल स्तर नाविकों का भुगतान है बकाया
नाविकों ने बताया कि पिछली बार बाढ़ के समय अपनी सेवा दी थी. लेकिन सरकार की तरफ से अबतक भुगतान नहीं किया गया है. बकाया राशि हासिल करने के लिए महीनों कार्यालय और विभाग का चक्कर काट चुके हैं. भुगतान नहीं होने के कारण इस बार नाव संचालन से खुद को अलग कर लिया है.