बिहार

bihar

ETV Bharat / state

महंगाई का असर: डीजल महंगा होने से सीतामढ़ी में किसान हाथों से कर रहे खेतों की जुताई - Farmers are producing grains in Sitamarhi

आर्थिक रूप से सबल और बड़े किसान खेतों की सिंचाई के लिए ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग करते हैं. वहीं, जिले के लघु और आर्थिक रूप से कमजोर किसान माली हालत खराब होने के कारण ना तो हल-बैल का और ना ही डीजल मंहगा होने के कारण ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों का ही उपयोग कर पा रहे हैं.

सीतामढ़ी
सीतामढ़ी

By

Published : Jun 26, 2020, 4:40 PM IST

सीतामढ़ी: एक ओर जहां देश चांद और मंगल पर जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर ऐसे अत्याधुनिक दौर में भी जिले में कई आर्थिक रूप से कमजोर किसान मौजूद हैं. जो परिवार के भरण पोषण के लिए अपरंपरागत तरीके से शारीरिक बल के माध्यम से खेतों की सिंचाई करते हैं. इसके बावजूद इन किसानों की माली हालत में सुधार नहीं हो पाता है. आर्थिक रूप से कमजोर किसानों की शिकायत है कि सरकारी उदासीनता और प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों की माली हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है.

खेतों में हाथ से जुताई करते किसान
दरअसल, आर्थिक रूप से सबल और बड़े किसान खेतों की सिंचाई के लिए ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों का उपयोग करते हैं. वहीं, जिले के लघु और आर्थिक रूप से कमजोर किसान माली हालत खराब होने के कारण न तो हल-बैल का और न ही डीजल मंहगा होने के कारण ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों का ही उपयोग कर पा रहे हैं. लाचारी में दो वक्त की रोटी की जुगत में किसान शारीरिक बल से हल खींचकर खेती कर रहे हैं.
ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमत ने बढ़ाई परेशानी
हाथों से हल खींच रहे किसान संजय कुमार सिंह ने बताया कि डीजल महंगा होने के कारण ट्रैक्टर संचालकों ने खेतों की जुताई दर में बढ़ोतरी कर दिया है. इसलिए खेती के लिए कर्ज उधार लेकर ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करवाना काफी जोखिम भरा है. लिहाजा महंगी जुताई कराकर खेती कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है. जिससे परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर बैल द्वारा किया जाने वाला काम खुद कर हम लोग खेतों की सिंचाई करने में लगे हुए हैं, ताकि घर-परिवार का जीवन यापन हो सके.

खेतों में काम करते किसान

ट्रैक्टर का पुराना जुताई दर
वहीं, किसान बच्चा प्रसाद ने आगे बताया कि डीजल की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के बाद से ट्रैक्टर संचालकों ने खेतों की जुताई दर बढ़ा दिया है. उन्होंने बताया कि डीजल मूल्य वृद्धि से पहले ट्रैक्टर संचालक कल्टीवेटर से 800 रुपये प्रति एकड़ प्रति चास की दर से खेतों की जुताई करते थे. वहीं, रोटावेटर से 12 सौ रुपए प्रति एकड़ प्रति चास की दर से जुताई की जाती थी. जबकि ताबा से खेतों की कटाई के लिए किसानों को प्रति एकड़ 12 सौ रुपए प्रति चास की दर से भुगतान करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि अब सभी तरह की जुताई की दरों में वृद्धि कर दी गई है. इसलिए छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर किसान ट्रैक्टरों का उपयोग कर पाने में सक्षम नहीं हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details