सीतामढ़ी:बागमती नदी के ऊपर बने जिले को मुजफ्फरपुर और शिवहर से जोड़ने वाले मारर पुल के पास 2017 में छोटी पुलिया बनायी गई थी. जिसकी लागत 40 से 50 लाख की थी, लेकिन उस साल आई बाढ़ की वजह से ये नवनिर्मित पुलिया ध्वस्त हो गया. उसके बाद आज तक इस पुलिया का फिर से निर्माण नहीं हो सका, जिससे क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
2017 में आई भीषण बाढ़ की वजह से बागमती नदी पर बना पुलिया ध्वस्त हो गया था. वहां करीब 50 फीट गड्ढा बन गया. नदी की धारा परिवर्तन की वजह से करीब 500 मीटर में बनी सड़क भी नदी में विलीन हो गई है. लेकिन आज तक उस जगह पर न तो पुल का निर्माण किया गया है और न ही सड़क बनाई गई. लिहाजा लोग विगत 3 सालों से नाव और चचरी पुल के सहारे आने-जाने को विवश हैं.
बारिश में लोगों की बढ़ जाती है परेशानी चचरी पुल निर्माण करने वाला व्यक्ति प्रति बाइक ₹20 की वसूली करता है. पुल और सड़क के अभाव में यातायात सुलभ नहीं होने की वजह से 3 जिलों के लोगों में स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन के प्रति नाराजगी है.
चचरी पुल पर आवागमन करते लोग पुल नहीं होने से लोग परेशान
स्थानीय लोगों ने बताया कि 3 सालों से पुल और सड़क नहीं होने की वजह से चचरी पुल के सहारे आना-जाना पड़ता है. पैदल साइकिल और बाइक सवार के आने-जाने के लिए स्थानीय व्यक्ति ने निजी पैसे से चचरी पुल का निर्माण किया है, जिस चचरी पुल के जरिए 3 जिलों के लोग आवागमन करते हैं. लेकिन बाइक और साइकिल सवार यात्रियों से वो प्रति व्यक्ति ₹20 की वसूली करता है, इसके बाद ही चचरी पुल पार करने दिया जाता है. इतनी कठिनाई के बावजूद स्थानीय सांसद और विधायक इस समस्या का समाधान नहीं कर रहे हैं. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
'प्रतिदिन होती है दुर्घटनाएं'
लोगों ने बताया कि पुल और सड़क का निर्माण नहीं होने और डायवर्सन नहीं होने से बारिश के मौसम में इस मुख्य मार्ग से गुजरने वाले बाइक और साइकिल सवार प्रतिदिन दुर्घटना का शिकार होते हैं. गंभीर रूप से बीमार मरीजों को समय से अस्पताल नहीं पहुंचा पाने की वजह से उनकी असमय मृत्यु हो जाती है. साथ ही दफ्तर के काम से जिला मुख्यालय आने जाने वाले लोग समय से नहीं पहुंच पाते हैं. सड़क और पुल नहीं होने से चार चक्का वाहनों का परिचालन सालों भर बाधित रहता है.
'पुल निर्माण अधर में लटका हुआ है'
इस संबंध में बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अभियंता राजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि 13 अगस्त 2017 को आई भीषण बाढ़ की वजह से कैटल पास ध्वस्त हो गया. उस जगह पर काफी गहरा गड्ढा हो चुका है. अब वहां पर 109 मीटर लंबा पुल करीब 14 करोड़ की राशि से बनाया जाना है, जिसका प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है. लेकिन अब तक अप्रूवल नहीं मिल पाया है, जिससे पुल का निर्माण अधर में लटका हुआ है.
'एजेंसी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी'
वहीं, जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर सिंह चौहान ने बताया कि पुलिया ध्वस्त हो जाने की वजह इस मुख्य मार्ग पर आवागमन प्रभावित रहता है. इसके समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है, जिस एजेंसी की तरफ से 3 साल पहले कैटल पास का निर्माण कराया गया था, उसके विरुद्ध जांच कराई जाएगी. दोषी पाए जाने पर एजेंसी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी.