पटना:बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर में शिवालयों की लंबी श्रृंखला है. ये जिला भगवान शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है. इसी कारण इसका नाम भी शिवहर पड़ा. तिरहुत प्रमंडल में पड़ने वाला ये क्षेत्र पहले मुजफ्फरपुर फिर हाल तक सीतामढी जिले का अंग रहा है. यह बिहार का सबसे छोटा और आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद पिछड़ा जिला है.
शिवहर पर रहा बीजेपी का दबदबा
शिवहर लोकसभा सीट पिछले दो बार से बीजेपी के खाते में जाती रही है. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से रमा देवी ने जीत हासिल की थी. रमा देवी तीसरी बार शिवहर से सांसद बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. महागठबंधन की तरफ से ये सीट आरजेडी के खाते में गई है. आरजेडी से सैयद फैसल अली चुनावी मैदान में हैं. फैजल अली पत्रकार रहे हैं. वहीं, एनसीपी की तरफ से शमीम आलम उम्मीदवार हैं.
तेज प्रताप की इस सीट पर रही दिलचस्पी
तेजप्रताप यादव ने जिन सीटों के उम्मीदवारों पर सवाल उठाते हुए अपनी पार्टी आरजेडी से बगावत के सुर बुलंद किए हैं, उनमें शिवहर सीट भी शामिल है. आरजेडी उम्मीदवार की बजाए यहां से उन्होंने अंगेश कुमार को समर्थन देने का ऐलान किया था. हालांकि बाद में तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से अंगेश कुमार का नामांकन रद्द हो गया. यहां मुख्य मुकाबला रमा देवी और सैयद फैसल अली के बीच ही है.
शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण
शिवहर क्षेत्र राजपूत बहुल सीट मानी जाती है. यहां की सियासत पर राजपूत समाज का खासा प्रभाव है और चुनावी नतीजों में इसका साफ असर दिखता है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 12 लाख 69 हजार 56 है. इसमें 5 लाख 91 हजार 390 महिला वोटर हैं जबकि 6 लाख 77 हजार 666 पुरुष मतदाता हैं.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी किया है. जुगल किशोर सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है. उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं.
कौन कब जीता चुनाव
आजादी के बाद देश में जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एस. पी. साहू और 1971 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.
1977 में यहां कांग्रेस को मिली शिकस्त
इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. इमरजेंसी के बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराजगी थी और इसका असर 1977 के चुनाव में इस सीट पर भी देखने को मिला. जब जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से चुनाव जीतकर कांग्रेस को धूल चटाई. लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया. जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे.