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सारण: 'जुगार के पुल' से कट रही जिंदगी, ऐसे कटता है सफर - चचरी पुल

रेपुका पंचायत के महरुआ गांव में लगभग एक महीने पूर्व आई बाढ़ से सड़क और पुल ध्वस्त होने के कारण लोगों का आवागमन बाधित हो गया है. कोई सरकारी मदद नहीं मिलने के बाद ग्रामीणों ने खुद चचरी के पुल का निर्माण किया है.

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Published : Aug 26, 2020, 9:05 PM IST

Updated : Aug 29, 2020, 12:02 AM IST

सारण: जिले में आई बाढ़ ने कई लोगों को घर से बेघर कर दिया. वहीं कई पूल, पुलिया और सड़क बाढ़ के पानी के तेज बहाव में बह गए. रेपुका पंचायत के महरुआ गांव में लगभग एक महीने पूर्व आई बाढ़ से सड़क और पुल ध्वस्त होने के कारण लोगों का आवागमन बाधित हो गया. कोई सरकारी मदद नहीं मिलने के बाद ग्रामीणों ने खुद चचरी के पुल का निर्माण किया है.

चचरी पुल के सहारे ग्रामीण कर रहे आवागमन

जिले के डुमरिया, बेडवलिया, चैनपुर और आदमापुर के लोग इसी चचरी पुल के सहारे मुख्यालय तक जाते हैं. कोई सरकारी मदद नहीं मिलने के बाद ग्रामीणों ने खुद बांस बल्ले के सहारे पुल का निर्माण किया है. इससे लोगों को आने-जाने में काफी सुविधा मिल रही है.

देखें रिपोर्ट

ग्रामीणों ने अपने बूते निकाला समस्या का हल
ग्रामीणों ने बताया कि पुल के लिए उन्होंने कई जनप्रतिनिधियों, नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई. लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. व्यवस्था से निराश ग्रामीणों ने आखिरकार अपनी परेशानी का हल अपने बूते ही निकाल लिया. वहीं चचरी पुल भी मजबूत हालत में नहीं है. आने जाने वाले लोगों को गिरने का भी डर रहता है.

Last Updated : Aug 29, 2020, 12:02 AM IST

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