सारण: उत्तर बिहार का इकलौता सारण के कोठेयाँ नारांव गांव स्थित सूर्य मंदिर में दिनों दिन आस्था का प्रतीक बनता जा रहा हैं. जिस वजह से आये दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही हैं. सूर्य मंदिर की स्थापना 1990 में हुई थी जिसका उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी और पुलिस अधीक्षक सीआर कासवान ने संयुक्त रूप से की थी.
सारण के सूर्य मंदिर का है अनोखा महत्व, यहां छठ व्रत से होती है संतान की प्राप्ति
सूर्य मंदिर परिसर स्थित तालाब लगभग सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है. जिसका जीर्णोद्धार स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया है.
मंदिर के स्थापना काल से ही छठ पूजा के दिन हजारो की संख्या में छठ व्रती यहां आकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं. कार्तिक में होने वाले छठ पूजा से कम चैती छठ पूजा में श्रद्धालुओं की भीड़ कम होती हैं. भक्तों की मानें तो यहां जो भी निष्ठा पूर्वक मन्नत मांगा जाता हैं वह सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि जिसको चर्म रोग से पीड़ित ब्यक्ति इस सूर्य कुंड में नियमित स्नान करने के बाद भगवान सूर्य की उपासना करते हैं वे रोग मुक्त हो जाते है.
बता दें कि सारण के तत्कालीन जिलाधिकारी ब्यास जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति इसी सूर्य मंदिर स्थित रामजानकी मन्दिर के तत्कालीन महंथ श्री श्री 1008 विश्वामित्र महंथ रामदास जी महाराज जलसैनी जी के आशीर्वाद से हुई थी.