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द्वापर युग में चर्चित गिर की गाय को लेकर आजकल चर्चा में है सोनपुर, दर्शन के लिए पहुंच रहे लोग

विशेषज्ञों के अनुसार गिर नस्ल की गाय विरले ही मिलती है. इसके दूध के कई आयुर्वेदिक औषधिय गुण होते हैं. चिकित्सक भी बताते हैं कि इसके मूत्र के सेवन से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के प्रकोप को कम और समाप्त भी किया जा सकता है.

गिर की गाय
गिर की गाय

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Published : May 15, 2020, 2:15 PM IST

सारण: हरिहर क्षेत्र की पावन भूमि पर इन दिनों एक अद्भुत गाय की चर्चा हर किसी की जुबान पर है. हो भी क्यों नहीं, बात ही इतनी खास जो है. लाजिमी है कि जिस गाय की चर्चा द्वापर युग में हुई हो, वह गाय अगर आज कहीं भी उपलब्ध हो तो लोग उसके दर्शन से तो कृतार्थ होना ही चाहेंगे. धार्मिक रूप से भी इस गाय की चर्चा हो रही है. लोगों का मानना है कि इस गाय के मस्तक पर भोले भंडारी भगवान शंकर के त्रिशूल की छाप नजर आती है.

गिर की गाय

जानकारी के मुताबिक, सोनपुर थाने में पदस्थापित पुलिस इंस्पेक्टर दयानंद सिंह ने इसे अपने कार्यकाल के दौरान बक्सर से खरीदा था. धार्मिक रूप से बक्सर सदैव महत्वपूर्ण रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार गिर नस्ल की गाय विरले ही मिलती है. इसके दूध के कई आयुर्वेदिक औषधिय गुण होते हैं. चिकित्सक भी बताते हैं कि इसके मूत्र के सेवन से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के प्रकोप को कम और समाप्त भी किया जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

दर्शन मात्र से ही खुद को मानते हैं सौभाग्यशाली
बता दें कि इस गाय को देखने के लिए सारण जिले से ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों से भी लोग सोनपुर थाना पहुंच रहे हैं. गौ सेवा के पवित्र उद्देश्य से पाले गये इस गाय को सारण के पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय समेत कई वरीय पुलिस पदाधिकारी देख चुके हैं. वहीं, स्थानीय लोग भी इस गाय के दर्शन मात्र से ही खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं.

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