सारण: बिहार की राजधानी पटना के दीघा से गंगा पर स्थित जेपी सेतु पार करने के बाद करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बाबा हरिहर नाथ के नाम से प्रसिद्ध एक मंदिर है, जो सोनपुर (सारण) में गंगा और गंडक के मिलन स्थल पर मौजूद है. मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंचते हैं, लेकिन शायद ही किसी ने गौर किया होगा कि इस मंदिर में जिस शिवलिंग के दर्शन और पूजा अर्चना करते हैं उसमें एक साथ दो देव मौजूद है. यहाँ स्थित शिवलिंग के आधे हिस्से में देवों के देव महादेव और आधे में भगवान विष्णु मौजूद हैं. जो श्रद्धालु शिव भक्त होते हैं, उन्हें विष्णु की भक्ति और जो भगवान विष्णु के भक्त हैं उन्हें शिव भक्ति करने का मौका मिल जाता है. इसलिए यह मंदिर शैव और विष्णु दोनों सम्प्रदाय में प्रसिद्ध है. यह देश का इकलौता मंदिर है जिसमें एक शिवलिंग में दो देव अवस्थित हैं.
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एक शिवलिंग में दो देव की क्या है पौराणिक मान्यता: मंदिर के मुख्य पुजारी 'बम बम' की मानें तो गंगा और गंडक के तट पर शैव और वैष्णव सम्प्रदाय के भक्तों के बीच भीषण युद्ध हुआ था. इस बात की चर्चा पद्म पुराण में भी है. पद्म पुराण के तथ्यों के मुताबिक दोनों सम्प्रदाय के लोग अपने आराध्य को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए महीनों तक युद्ध लड़ते रहे. इस युद्ध में भारी रक्तपात हुआ था और दोनों एक दूसरे को सुनने को तैयार नहीं थे. युद्ध बढ़ता गया और रक्तपात होता रहा. जब लगा कि इससे धरती पर मानव का पूर्ण विनाश हो जाएगा तो भगवान शिव को साक्षात होकर धरती पर आना पड़ा.
जानें 'हरिहरनाथ' की महिमा: भगवान शिव धरती पर आये और उन्होंने भक्तों को समझाया कि मैं ही शिव हूं और मैं ही विष्णु हूँ. भक्तों ने शिव की बात मानी पर जो वैष्णव सम्प्रदाय के लोग थे उन्होंने विष्णु को भी इसी शिवलिंग में साथ रखने की बात कही. दोनों सम्प्रदाय के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ और एक ही शिवलिंग में भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों को स्थापित किया गया. भक्तों की सहमति से इस मंदिर का हरिहर नाथ पड़ा. हरि का मतलब विष्णु और हर का मतलब महादेव और तब से यह मंदिर वैष्णव और शैव दोनों संप्रदायों के लिए खास है.