सारण:दृढ़ इच्छा और लगन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. सारण जिले के मांझी क्षेत्र निवासी आशीष कुमार ने इसे चरितार्थ कर दिखाया है. आईएमए देहरादून में इंडियन आर्मी की पासिंग आउट परेड के बाद आशीष सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. जिले के आशीष कुमार ने भारतीय सेना में सैन्य अधिकारी बनकर बिहार की शिक्षा व्यवस्था, गुरुजनों और अपने माता-पिता का मान-सम्मान बढ़ाया है.
पासिंग आउट परेड के बाद आशीष के कंधों पर जब स्टार सजाए गए, तो उसके परिजनों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. टीवी पर पासिंग आउट परेड का विहंगम दृश्य देख परिजनों और आसपास के गांवों के लोगों की बांछें खिल गईं. स्थानीय लोगों ने कहा कि आशीष ने सारण ही नहीं पूरे बिहार का नाम रोशन किया है.
गांव में मिठाई बांटकर किया गया खुशी का इजहार
परेड के मौके पर मौजूद सैन्य अधिकारियों समेत स्वयं थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकंद नरवणे ने नव चयनित पदाधिकारियों की सलामी ली. साथ ही नव चयनित सैन्य अधिकारियों को भारतीय संविधान और देश की सुरक्षा की शपथ दिलाई गई. कांधे पर स्टार लगने के बाद परिवार समेत पूरे गांव में भी खुशी का माहौल है. परिजनों ने गांव में मिठाई बांट कर अपनी खुशी का इजहार किया.
मांझी स्थित लेफ्टिनेंट आशीष कुमार का मकान गौरतलब है कि मांझी प्रखंड अंतर्गत दाउदपुर थाना क्षेत्र के पिलुई गांव निवासी तारकेश्वर नाथ सिंह और ममता सिंह के पुत्र आशीष कुमार 2016 में एनडीए की परीक्षा में 133वें रैंक के साथ सफल हुए थे. उसके बाद पुणे में एनडीए की तीन वर्ष की ट्रेनिंग 30 मई 2019 को उन्होंने पूरी की. इसके बाद देहरादून से एक वर्षीय ट्रेनिंग पूरा कर 13 जून को पासिंग आउट परेड में शामिल होकर सैन्य अधिकारी बन गए.
'जम्मू के सैनिक स्कूल से हुई है पढ़ाई'
बता दें कि आशीष की प्रारंभिक शिक्षा बरौनी के गढ़हरा से पूरी हुई. जबकि उनकी नवीं से 12वीं तक की शिक्षा जम्मू के सैनिक स्कूल नगरौटा में पूरी हुई. पिता टीएन सिंह रेलवे के सामान्य भंडार डिपो गढ़हरा (बरौनी) में ऑफिस सुपरिटेंडेंट के पद पर कार्यरत हैं. वहीं मां ममता सिंह गृहिणी हैं.
मांझी स्थित लेफ्टिनेंट आशीष कुमार का मकान 'बचपन से ही देश की सेवा की दिली इच्छा'
आशीष ने अपनी सफलता का प्रेरणा-स्रोत अपने माता-पिता और अपने रिटायर सुबेदार मेजर नाना महेश्वर नारायण सिंह को बताया. अपनी खुशी का इजहार करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से ही देश की सेवा की दिली इच्छा थी. जो ईश्वर की कृपा से पूरी हो गई. साथ ही देश सेवा को उन्होंने सबसे बड़ी पूजा बताया.